सुप्रीम कोर्ट में NGT के आदेशों को चुनौती देगी हिमाचल सरकार

Tuesday, Dec 05, 2017 - 11:32 AM (IST)

शिमला: सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के आदेशों को चुनौती देगी। यह फैसला सरकार द्वारा विधि सचिव की अध्यक्षता में गठित 4 सदस्यीय कमेटी की सोमवार को आयोजित बैठक में लिया गया। इसमें अवैध निर्माण को लेकर आए एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने पर सहमति बनी है। राज्य सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी। राज्य सरकार के अपील में जाने के फैसले के बाद अवैध भवन मालिकों को राहत मिलने की आस बंध गई है। बता दें कि बीते 16 नवम्बर को एन.जी.टी. ने अवैध निर्माण और डैविएशन को तोड़ने के निर्देश दे रखे हैं। इसे लेकर एन.जी.टी. ने 3 माह बाद स्टेटस रिपोर्ट मांग रखी है। इन आदेशों के बाद प्रदेश के अवैध भवन मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है।


एन.जी.टी. के इन आदेशों का शिमला में लोग खुले तौर पर कर रहे विरोध
लोगों को भय सता रहा है कि उनके अवैध भवनों पर कभी भी हथौड़ा चल सकता है। इससे लोगों के जीवनभर की कमाई से तैयार आशियाने उनसे छिन जाएंगे। एन.जी.टी. के इन आदेशों का शिमला में लोग खुले तौर पर विरोध भी कर रहे हैं। इस लड़ाई के लिए राजधानी के लोगों ने शिमला जन संघर्ष मंच का गठन भी कर लिया है। जन संघर्ष मंच ने तो एन.जी.टी. के इस आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से बाहर और देश की संसद से पारित वनाधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन करार दिया है। मंच ने प्रदेश सरकार से इन आदेशों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मुख्य सचिव ने लोगों के विरोध के बाद 3 रोज पहले सचिव विधि, सचिव राजस्व, टी.सी.पी. निदेशक और एम.सी. आयुक्त की 4 सदस्यीय कमेटी गठित की थी। उन्होंने विधि सचिव को एन.जी.टी. के आदेश एग्जामिन करने के भी निर्देश दिए थे। एन.जी.टी. के आदेश स्टडी करने के बाद कमेटी ने अपील में जाने का फैसला लिया है। 


हिमाचल में 35 डिग्री ढलान पर निर्माण की शर्त समझ से परे
मंच के संयोजक गोविंद चितरांटा ने बताया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील की बजाय एन.जी.टी. में ही पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने इनके आदेशों को जमीनी हकीकत से परे बताया है। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में 35 डिग्री ढलान पर निर्माण की शर्त समझ से परे है। शहरों में पहले ही जमीन की कमी खल रही है, ऐसे में 35 डिग्री ढलान पर निर्माण की शर्त से स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी। उन्होंने मांग की कि नया कानून नए निर्माण पर ही लागू होना चाहिए। 3 से 4 दशक पहले बने मकान पर टी.सी.पी. की बंदिशें थोपना सही नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार से जहां है, जैसा है के आधार पर वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी लाने की मांग को फिर से दोहराया है। उन्होंने बताया कि शिमला जन संघर्ष मंच और उपनगरीय जन कल्याण समिति सरकार पर एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने या फिर अपील में जाने का दबाव डालती रहेंगी। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो सैंकड़ों लोग आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने 1979 की अंतरिम विकास योजना को भी जल्द फाइनल करने की मांग की है।