सुक्खू बोले-चाहता तो सदन में बंद रखता मुंह पर विधायक होने के नाते बोलना भी जरूरी

Sunday, Sep 01, 2019 - 10:02 PM (IST)

शिमला: कांग्रेस विधायक एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सूक्खू ने कहा है कि सरकार द्वारा मानसून सत्र में लाए गए टीडी बढ़ाने संबंधी विधेयक पर चाहते तो वह भी अपना मुंह बंद रख सकते थे लेकिन विधायकों की वर्तमान व वास्तविक स्थिति पर बोलना जरूरी था। विधेयक पर चर्चा के दौरान भावना विधायकों की चुनौतियों को उठाने की रही, भत्ते बढ़ाना नहीं ताकि विधायक अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभा सकें।

विधायक की सुविधाओं और वेतन के बारे में जानने का जनता को पूरा हक

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के लाए गए विधेयक पर चर्चा इसलिए आवश्यक थी ताकि जनता को सच्चाई पता चल सके। एक विधायक को वेतन तो मात्र 55,000 रुपए मिलता है बाकी तो भत्ते मिलते हैं जोकि जनता का काम करने के लिए ही खर्च किए जाते हैं। विधायक का कार्यालय खर्च ही रोजाना 2 से अढ़ाई हजार रुपए आ जाता है। उन्होंने कहा कि जनता को जानने का पूरा हक है कि उनके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि को कौन-कौन सी सुविधाएं व कितना वेतन मिलता है। वेतन के अलावा मिलने वाले भत्ते कहां-कहां खर्च होते हैं। जनता अपना नुमाइंदा इसलिए ही चुनकर भेजती है कि वह सदन में सभी मुद्दों पर राय रखे।

...तो विधायकों को भत्तों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी

उन्होंने कहा कि सरकार विधायकों को गाड़ी दे दे, ड्राइवर, पैट्रोल, ऑफिस व विधानसभा दौरे पर आने वाले सभी खर्च उठा ले तो विधायकों को कोई भत्ते देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसे भी अधिकतर विधायक यात्रा भत्ता क्लेम नहीं करते हैं। बीते वर्ष मात्र 15 लाख रुपए यात्रा भत्ते पर सरकार के खर्च हुए। जो यात्रा भत्ता बढ़ाया गया है, उसका कोई लाभ विधायकों को होने वाला नहीं है।

पहली बार हुई चर्चा, बोलने से कतराते थे विधायक

उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ कि भत्तों में वृद्धि संबंधी विधेयक पर सदन में चर्चा हुई, उसके बाद विधेयक पारित हुआ। अभी तक यह विधेयक बिना चर्चा के ही पारित होते आए हैं। विधायक बोलने से कतराते रहते थे और जनता में उनकी छवि दागदार बनी रहती थी। यह यात्रा भत्ते की सुविधा विधायकों के लिए वैसी ही है, जैसे कर्मचारियों को यात्रा करने पर एलटीसी मिलती है।

एक रुपए लेने वालीं स्टोक्स एकमात्र नेत्री

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्व वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स ही एकमात्र नेता रहीं जो केवल एक रुपए वेतन लेती रहीं। वर्तमान में 68 विधायकों में ऐसा कोई नहीं जो वेतन छोड़ रहा हो। उन्होंने कहा कि वह विधायकों के पारदर्शी जीवन के हिमायती हैं। सभी विधायकों को अपनी संपत्ति व आय के स्रोत हर साल सार्वजनिक करने चाहिए।

Vijay