सुक्खू का पलटवार, वीरभद्र सिंह नहीं चाहते अपने पैरों पर खड़ी हो कांग्रेस

Sunday, Jan 13, 2019 - 06:59 PM (IST)

शिमला: पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर जवाबी हमला बोला है। सुक्खू ने कहा कि पार्टी में अच्छा काम करने वाले हर नेता का विरोध करना वीरभद्र सिंह का स्वभाव बन गया है। उम्र के हिसाब से वीरभद्र सिंह आदरणीय हैं, लेकिन जब राजनीतिक बात करेंगे तो जवाब भी राजनीतिक तरीके से ही मिलेगा। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने यहां जारी बयान में कहा है कि प्रदेश में संगठन का मजबूत होना वीरभद्र सिंह की सबसे बड़ी समस्या है। वे कभी चाहते ही नहीं थे कि प्रदेश में कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी हो। इसलिए हमेशा उन्होंने कांग्रेस को अपने से ऊपर प्रदेश में उठने ही नहीं दिया। कांग्रेस को खत्म कर व्यक्ति विशेष का कद बड़ा बना दिया। पहले उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत महाजन, फिर विद्या स्टोक्स व विप्लव ठाकुर और उसके बाद कौल सिंह ठाकुर का विरोध किया।

चुनाव आते ही पार्टी नेतृत्व के साथ शुरू कर देते हैं ब्लैकमेलिंग

उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह की आदत रही है कि जब भी चुनाव आते हैं तो पार्टी नेतृत्व के साथ ब्लैकमेलिंग शुरू कर देते हैं। पार्टी हाईकमान पर पूर्व सी.एम. की टिप्पणी अशोभनीय है। लोकसभा चुनाव में टिकट आबंटन को लेकर वीरभद्र सिंह ने हाईकमान के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया है। उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। बकौल सुक्खू ने कहा है कि उन्होंने कांग्रेस के कुनबे को बढ़ाया, न कि व्यक्ति विशेष का, इसलिए वीरभद्र सिंह उनके भी धुर विरोधी बन गए। वीरभद्र सिंह खुद को ही हिमाचल में कांग्रेस मानते हैं, जबकि समय बदल चुका है और कांग्रेस प्रदेश में बूथ स्तर तक मजबूत है। जीत के लिए वीरभद्र सिंह का ही होना जरूरी नहीं है।

कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को कबाड़ कहना अशोभनीय

उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह कांग्रेस नहीं, कांग्रेस पार्टी का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के आम कार्यकर्ता व पदाधिकारियों को कबाड़ कहना अशोभनीय है। आम कार्यकर्ता पार्टी की जान और रीढ़ की हड्डी होता है। पार्टी के लिए उसके योगदान की कोई कीमत नहीं चुकाई जा सकती। वीरभद्र सिंह यह बताएं कि क्या गंगूराम मुसाफिर, चौधरी चंद्र कुमार, हर्ष महाजन, अजय महाजन व रवि ठाकुर भी कबाड़ हैं, जिन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जगह दी गई है। क्या अनेक बार सांसद, विधायक, मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रह चुके नेताओं को संगठन में ओहदा देना गलत है। क्या वीरभद्र सिंह ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को भी कबाड़ मानते हैं।

वीरभद्र सिंह कभी नहीं करवा पाए रिपीट, लोस-विस चुनाव का ठीकरा भी फोड़ा

उन्होंने कहा कि बीते लोस व विस चुनाव में हार कांग्रेस पार्टी या संगठन की नहीं बल्कि सीधे वीरभद्र सिंह की हुई है क्योंकि 2014 में लोकसभा के चारों टिकट उनकी मर्जी के थे। 2017 विधानसभा चुनाव में भी 60 टिकटें वीरभद्र सिंह ने अपनी मर्जी की लीं। पार्टी अध्यक्ष को मात्र 5 टिकटें मिलीं, ऐसे में खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि हारा कौन और हार किसकी वजह से कांग्रेस पार्टी की हुई। उन्होंने कहा कि संगठन तो काम करता रहा लेकिन सरकार सत्ता के नशे में चूर रही। यही कारण है कि वीरभद्र सिंह 6 बार सी.एम. बनने के बावजूद कभी प्रदेश में कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं कर पाए।

अपने व पार्टी विरोधी नेताओं को आगे बढ़ाया

उन्होंने कहा है वीरभद्र सिंह ने पूर्व सरकार में ऐसे लोगों को चेयरमैन बनाया, जिन्होंने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ  चुनाव लड़ा था। चेयरमैन बनने के बाद भी वे लोग कांग्रेस को मजबूत नहीं कर पाए। बीते विस चुनाव में उनके बूथ पर 8 से 10 वोट पड़े। सी.एम. बनने पर वीरभद्र सिंह का काम ही अपने कुनबे व पार्टी विरोधी नेताओं को आगे बढ़ाने का रहा है।

Vijay