कोरोना की आड़ में शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दे रही प्रदेश सरकार: एनएसयूआई

Sunday, Apr 04, 2021 - 05:58 PM (IST)

शिमला (योगराज) : प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए स्कूलों व कॉलेजों को 15 अप्रैल तक बंद रखने के आदेश पर एनएसयूआई ने रोष व्यक्त करते हुए इस फैंसले को गैर-तर्कसंगत बताया। एनएसयूआई के राज्य संगठन महासचिव मनोज चैहान ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने कोरोना के चलते स्कूल व कॉलेजों को एक बार फिर से 15 अप्रैल तक बंद करने का फरमान तो जारी कर दिया लेकिन दूसरी ओर कोचिंग संस्थानो को जारी रखने के निर्देश दिये गए है जो तर्कसंगत नहीं है। ऐसे में मनोज चैहान ने सरकार पर ऐसे फैंसले जारी कर शिक्षा के निजीकरण व व्यापारीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बार बार स्कूल कॉलेज बंद कर एक तरह से अभिभावकों पर बच्चों को महँगे प्राइवेट कोचिंग सेंटरों पर शिक्षा लेने के लिए भेजने पर मजबूर किये जा रहे है। प्रदेश उपाध्यक्ष वीनू मेहता ने सरकार से सवाल पूछा है कि क्या कोरोना सिर्फ स्कूलों व कॉलेजों पर ही आक्रमण कर रहा है जबकि देश प्रदेश धड़ल्ले से हो रही राजनीतिक रैलियों के लिए तो कोई नियम कानून नहीं लागू किये जा रहे।

प्रमोट किये गए कॉलेज छात्रों के रिजल्ट बारे जल्द स्थिति साफ करें विवि: मनोज चैहान

कोरोना में स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई न हो पाने की स्थिति में छात्रों का साल बचाने में एनएसयूआई ने अहम भूमिका निभाई थी। इसी के चलते विवि द्वारा पिछले वर्ष के प्रथम व द्वितीय वर्ष के कॉलेज छात्रों को प्रोमोट करने का फैसला लिया गया। गत दिनों विवि द्वारा छात्रों को प्रोमोट कर उनके रिजल्ट अपलोड करने का दावा तो यूनिवर्सिटी ने कर दिया लेकिन एनएसयूआई ने विवि के इस दावे को अधूरा बताते हुए विवि पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेशभर के छात्र इस प्रमोशन सिस्टम के प्रोसेस को समझ नहीं पा रहे है। एनएसयूआई उपाध्यक्ष वीनू मेहता ने कहा कि प्रदेश के बहुत से छात्रों के अभी तक भी रिजल्ट नहीं आए है। जिन छात्रों के इंटरनल माक्र्स कम लगे है या फॉर्म समय पर नहीं भर पाए उन छात्रों को भी प्रोमोट किये जाने की मांग एनएसयूआई ने की है। इसके अतिरिक्त लेट कैपेसिटी व इक्डोल के छात्रों के रिजल्ट भी जल्द घोषित करने की मांग प्रशासन से गई है।
 

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prashant sharma