भर्ती मामले में गड़बड़ी पर कर्मचारी चयन आयोग के सचिव अदालत में तलब

Tuesday, Nov 26, 2019 - 10:50 AM (IST)

शिमला (ब्यूरो): न्यायालय को जान-बूझकर गुमराह करने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के सचिव जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंद्र भूसन बारोवालिया की खंडपीठ ने कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के पद के लिए चयन से संबंधित एक मामले में जितेंद्र कंवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि इसके लिए क्यों न उन्हें दंडित किया जाए। खंडपीठ ने ये आदेश जिला मंडी के केहर सिंह द्वारा दायर याचिका पर दिए। याचिका के अनुसार कर्मचारी चयन आयोग ने हिमाचल में भर्ती के लिए कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के 12 पदों को अधिसूचित किया था, जिसमें ओ.बी.सी. (यू.आर.) श्रेणी के लिए दो पद आरक्षित थे।

याचिका में आरोप लगाया है कि चयनित सूची में 12 उम्मीदवारों को जूनियर पर्यावरण इंजीनियर की नियुक्ति बारे सिफारिश की गई थी। राज्य पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतीक्षा सूची के लिए अंतिम चयन सूची भी तैयार की गई थी, जिसमें याचिकाकत्र्ता क्रम संख्या 1 पर था। आरोप लगाया है कि ओ.बी.सी. के जूनियर पर्यावरण अभियंता ने ज्वाइन करने के एक सप्ताह के भीतर नौकरी छोड़ दी और ओ.बी.सी. (यू.आर.) के खिलाफ जूनियर इंजीनियर का पद खाली हो गया। 

याचिकाकत्र्ता ने आरोप लगाया है कि वह चयनित सूची/प्रतीक्षा सूची में अगला उम्मीदवार होने के कारण नियुक्ति के लिए विचार करने का हकदार है, लेकिन अभी तक उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है। याचिकाकत्र्ता ने उनसे रिक्त पद के विरुद्ध कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता के पद पर नियुक्ति के लिए विचार करने की प्रार्थना की है। सुनवाई के दौरान आयोग द्वारा प्रतीक्षा सूची/पैनल के संबंध में नियम 16.6 और 16.8 का हवाला दिया गया, जबकि न्यायालय ने पाया कि नियम 16.8 में दिनांक 15.09.2016 को संशोधन कर दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संकोच नहीं है कि कर्मचारी चयन आयोग द्वारा अपरिवर्तित नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकत्र्ता के दावे को विफल करने और न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की गई है।

सचिव को 29 नवंबर को अदालत में पेश होने के आदेश

एक और मामले में कर्मचारी चयन आयोग द्वारा भर्ती मामले में गड़बड़ी किए जाने पर हाईकोर्ट ने आयोग के सचिव को 29 नवम्बर के लिए अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश दिए है। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंद्र भुसन बारोवालिया की खंडपीठ ने जिला सोलन के चमन लाल द्वारा दायर याचिका कि सुनवाई के पश्चात पारित किए। याचिका में आरोप लगाया है कि वर्ष 2016 में, प्रार्थी ने जूनियर अधिकारी के पदों के लिए ओ.बी.सी. की आरक्षित श्रेणी के तहत ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से आवेदन किया था। प्रार्थी की उम्मीदवारी को कर्मचारी चयन आयोग इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रार्थी द्वारा किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 55 प्रतिशत अंकों के साथ एच.आर./मैनेजमेंट में एक साल के पूर्ण डिप्लोमा का प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है, जबकि प्रार्थी ने समय से पहले ही अपेक्षित प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दिया था।

प्रार्थी ने आगे आरोप लगाया है कि जिस उम्मीदवार को उक्त पद के लिए चुना गया है, उसके पास आवश्यक शैक्षणिक योग्यता भी नहीं है। सुनवाई के दौरानए न्यायालय ने पाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के संबंध में विभिन्न नियमों और मापदंडों को अपना रहा है। कोर्ट ने पाया कि पम्प ऑपरेटरों के मामले में, उम्मीदवारों को ई-मेल, फैक्स या व्यक्तिगत रूप से प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है, जबकि इस मामले में आयोग ने याचिकाकर्ता के मामले को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रमाण पत्र नहीं सौंपे हैं, हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जाता है कि ई-मेल द्वारा अपेक्षित प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था। दोनों मामले की सुनवाई 29.11.2019 को निर्धारित की गई है।  

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Simpy Khanna