कर्मचारी महासंघ के चुनाव पर गर्माई सियासत, आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू

Monday, Jul 08, 2019 - 01:26 PM (IST)

शिमला (राक्टा): हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की सरदारी को लेकर गर्माई राजनीति के बीच अब आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो गया है। इसी कड़ी में महासंघ के समानांतर (अश्विनी ठाकुर) गुट के पिछले दिन शिमला में हुए चुनाव पर विनोद कुमार गुट ने सवाल खड़े किए हैं। महासंघ के संयोजक विनोद कुमार ने कहा है कि बीते दिन जो चुनाव आयोजित किए गए, वह महज एक ड्रामा था। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को कर्मचारियों के साथ एक बड़ी जालसाजी और धोखाधड़ी करार दिया। ऐसे में कर्मचारियों की इस संस्था को किसी के भी द्वारा हाईजैक किया जाना गैर-कानूनी और अनैतिक कार्य है।  

उन्होंने कहा कि इस चुनावी ड्रामे में तथाकथित नेताओं ने मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से सम्बद्ध होने का प्रचार करते हुए कर्मचारियों को सी.एम. कार्यालय और ओकओवर के नाम का भी इस्तेमाल कर डराया-धमकाया जोकि खेदजनक है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि महासंघ के चुनाव 21 जुलाई को किसान भवन बिलासपुर में होंगे। गौर हो कि बीते दिन महासंघ के समानांतर (अश्विनी ठाकुर) गुट के चुनाव आयोजित हुए थे जिनमें अश्विनी ठाकुर को महासंघ का अध्यक्ष चुना गया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय पूरे मामले पर करे विचार

विनोद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कर्मचारी राजनीति में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है और न रहेगा। उन्होंने कहा है कि ऐसे में यह आवश्यक है कि मुख्यमंत्री कार्यालय इस पर विचार करके स्थिति स्पष्ट करने को कहे। महासंघ के संयोजक ने मुख्यमंत्री  से प्रदेश की इस दयनीय कर्मचारी राजनीति से दूर रहने का आग्रह किया है। 

किसी का नहीं रहा हस्तक्षेप हस्तक्षेप

महासंघ के समानांतर गुट के जिला शिमला के प्रधान अश्विनी ठाकुर ने बताया कि संवैधानिक तरीके से चुनावी प्रक्रिया अमल में लाते हुए अश्विनी ठाकुर को महासंघ का अध्यक्ष चुना गया है। उन्होंने कहा कि कुछ स्वयंभू नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए तथ्यहीन बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महासंघ को युवा नेतृत्व मिला है जिसके लिए सभी कर्मचारी भी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि कुछ स्वयंभू नेता गुटबाजी को बढ़ावा देते हुए महासंघ पर काबिज होना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि महासंघ के जो चुनाव आयोजित हुए उनमें न तो मुख्यमंत्री का कोई हस्तक्षेप था और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय का। उन्होंने कहा कि स्वयंभू नेताओं को किसी भी तरह की टिप्पणी करने से पहले सभी तथ्यों को खंगाल लेना चाहिए।

Ekta