ध्यान से काटे घास, लापरवाही बरती तो काटेगा सांप

Monday, Oct 14, 2019 - 03:49 PM (IST)

शिमला (रविंद्र जस्टा): अगर आप घास काट रहे है तो ध्यान से काटे। अगर लापरवाही बरती तो आप सांप के शिकार बन सकते है। हिमाचल में सर्पदंश के मामले प्रत्येक वर्ष बढ़ते ही जा रहे है। एक साल का अगर आई.जी.एम.सी. मे आंकड़ा देखा जाए तो 98 लोगों को सांप ने काटा है। इन सभी लोगों ने आईजीएमसी में अपना उपचार करवाया है। यह मामले ज्यादातर ग्रामिण क्षेत्र से आ रहे है। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और बागवान घास काटने का काम करते है, यही कारण है कि लोग घास के बीच रहते है और वे सांप का शिकार बन जाते है।

घास काटते समय किसानों और बागवानों की जान को इन सांपों से जान का जोखिम हमेशा बना रहता है। हर साल अस्पतालों में सर्पदंश के सैंकड़ों मामले पहुंचते हैं। अगर समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। आई.जी.एम.सी. में हर तीसरे दिन सांप के काटने के मरीज भर्ती हो रहे है। यहां तक की इस वर्ष सांप काटने से 3 लोगों की मौत तक हो चुकी है। चिकित्सक का कहना है कि खासकर क्रेट और ग्रीन पिट सांप का काटना घातक हो सकता है। आई.जी.एम.सी. और टांडा में लगातार सर्पदंश के मामले सामने आ रहे हैं।

आईजीएमसी के मैडीसन विभाग में हर साल 150 से 200 मामले हर साल पहुंचते हैं। सर्पदंश के सबसे अधिक मामले 108 एंबुलैंस के माध्यम से ही अस्पताल तक पहुंचाए जा रहे हैं। अगर लोगों को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाता तो इनकी मौत भी हो सकती थी। एंटी स्नेक वेनम ने सर्पदंश के शिकार इन लोगों को नई जिदंगी प्रदान की है। यदि अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती तो शायद इनमें से कई लोग आज दुनिया में ही नहीं होते। सर्पदंश के मामले गर्मियों में तो सामने आते ही हैं, लेकिन बरसात के मौसम में काफी अधिक बढ़ जाते हैं।

सांप ठंडे रक्त वाले जीव होते हैं और सर्दियों में ये लंबे हाइबरनेशन के लिए जमीन के नीचे चले जाते हैं व गर्मियों के शुरू होते ही यह अपने शरीर को गर्म करने के लिए व भोजन के लिए जमीन के बाहर आ जाते है, जिसके परिणाम स्वरूप सर्पदंश के मामलों में वृद्धि होती है। इसी तरह बरसात के दौरान उमस और बिलों में पानी भरने के कारण सांप जमीन पर हरी घास और पानी के बीच में पाए जाते हैं। सर्पदंश आमतौर पर काटी गई जगह पर दांतों का निशान हल्की दर्द व उसके चारों तरफ लाली से पहचाना जा सकता है, लेकिन कुछ सांप ऐसे भी होते हैं जिनके काटने के निशान शरीर पर नहीं दिखते। ऐसे मामलों में स्नेक बाइट की पहचान लक्षणों से की जा सकती है। इसके अलावा व्यक्ति के मुंह से खून भी निकलता है।

कांगड़ा में आते है सर्पदंश के सबसे ज्यादा मामले

सांपों का सबसे अधिक प्रकोप कांगड़ा में रहता है। आईजीएमसी और टांडा में लगातार सर्पदंश के मामले सामने आ रहे हैं। कांगड़ा में लोग धान रोपते हुए सबसे ज्यादा स्नेक बाइट का शिकार होते हैं। इसी साल करीब 95 लोगों को सांप ने काटा है। पिछले पांच सालों में 108 के तहत करीब दो हजार स्नेक बाइट के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें 1500 से अधिक मामले 2012 से 2014 के बीच थे। यदि इन लोगों को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाता तो इनकी मौत भी हो सकती थी।

kirti