शिमला संसदीय क्षेत्र में फौजियों पर दाव, BJP हैट्रिक तो कांग्रेस खोया दुर्ग फतह करने में जुटी

Tuesday, Apr 02, 2019 - 10:57 AM (IST)

शिमला (कुलदीप): शिमला संसदीय क्षेत्र (आरक्षित) पर इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने रिटायर फौजियों पर दाव खेला है। कांग्रेस प्रत्याशी डा. धनी राम शांडिल ने करीब 34 साल सेना में सेवाएं दी हैं। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप भी वायु सेना में 16 साल सेवाएं देने के बाद राजनीति में आए हैं। इस सीट को वर्ष, 2004 तक कांग्रेस की परम्परागत सीट माना जाता था तथा कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी के नाम यहां से लगातार 6 बार चुनाव जीतने का रिकार्ड दर्ज है। भाजपा ने लगातार दोनों लोकसभा चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की है।  

ये हैं मुद्दे

सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने, गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलाने, सड़कों की हालत सुधारने और कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना यहां के प्रमुख मुद्दें है। 

भाजपा-कांग्रेस के 8-8 विधायक 

बीते विधानसभा चुनाव के आधार पर आकलन किया जाए, तो भाजपा-कांग्रेस दोनों का पलड़ा बराबर है। संसदीय क्षेत्र में शिमला, सोलन और सिरमौर जिला के 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को क्रमश: 8-8 सीटों में जीत मिली तथा 1 विधानसभा क्षेत्र में सी.पी.एम. को जीत दर्ज करने में सफल रही है। 

जानिए धनीराम शांडिल बारे

शिमला संसदीय क्षेत्र (आरक्षित) से कांग्रेस प्रत्याशी डा. (कर्नल) धनीराम शांडिल का जन्म 20 अक्तूबर, 1940 को हुआ। उन्होंने पी.एच.डी. तक शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने सेना में वर्ष, 1962-96 तक सेना में करीब 34 साल अपनी सेवाएं दीं और कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए। वह वर्ष, 1999 और 2004 में 2 बार शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। साथ ही वर्ष, 2012 और इस बार वर्ष, 2017 में सोलन (आरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए हैं। वह पूर्व प्रदेश कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

परिचय सुरेश कश्यप

शिमला संसदीय क्षेत्र (आरक्षित) से भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप का जन्म 23 मार्च, 1971 को हुआ तथा उन्होंने लोक प्रशासन में एम. फिल तक की शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने 16 साल वायु सेना में अपनी सेवाएं दी है। सिरमौर जिला के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से वह वर्ष, 2012 और 2017 में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। साफ-सुथरी छवि के कारण उनको भाजपा की तरफ से प्रत्याशी बनाया गया है।

कांग्रेस को चुनौतियां

कांग्रेस के समक्ष चुनौती शिमला संसदीय क्षेत्र में पार्टी की वापसी करना है। शिमला संसदीय क्षेत्र पहले कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन लगातार 2 बार यहां से भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप चुनाव जीते हैं। इस बार उनका टिकट कट गया है। कांग्रेस टिकट के लिए इस बार डा. धनी राम शांडिल के अलावा गंगू राम मुसाफिर, सोहन लाल, विनोद कुमार सुल्तानपुरी, सुरेंद्र गर्ग, अमित नंदा, गुरदयाल सिंह पंवर, बुध राम आजाद, देवेंद्र सिंह भाटिया, सत्या गाजटा, डॉ. अश्वनी कुमार, ओम प्रकाश कटारिया, मेघ राज धारटा व आत्मा राम ने दावा किया था। ऐसे में सबको साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती है।

ये हैं प्राथमिकताएं

कांग्रेस प्रत्याशी एवं विधायक डा. धनी राम शांडिल का कहना है कि उनकी प्राथमिकता गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय का दर्जा दिलाना रहेगी। ठियोग-हाटकोटी सहित अन्य सड़कों की हालत सुधारने की तरफ ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2 बार सांसद रहने पर सांसद निधि का दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समान वितरण किया गया है। सेब पर आयात शुल्क को बढ़ाने संबंधी मामले को भी उठाया जाएगा, ताकि बागवानों को राहत मिल सके। उनका आरोप है कि वर्तमान सरकार पर आढ़तियों के माध्यम से बागवानों के पैसों को लूटा जा रहा है। इस लूट-खसूट को समाप्त करने के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।

भाजपा को चुनौतियां

भाजपा के समक्ष इस बार सबसे बड़ी चुनौती टिकट से वंचित रहे नेताओं को साथ लेकर चलने की होगी। इस बार सांसद वीरेंद्र कश्यप का टिकट कटा है। हालांकि उन्होंने किसी तरह की नाराजगी नहीं जताई है, फिर भी उनके समर्थक नाखुश हैं। इसी तरह एच.एन. कश्यप भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को खुला पत्र लिखकर टिकट की पैरवी कर चुके हैं। टिकट न मिलने से वह भी नाराज हैं। टिकट के अन्य दावेदार नेताओं को भी साथ लेकर चलना प्रमुख चुनौती रहेगी, ताकि पार्टी फिर से जीत दर्ज कर सके।

ये हैं प्राथमिकताएं

भाजपा प्रत्याशी एवं विधायक सुरेश कश्यप का कहना है कि उनकी प्राथमिकता गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय का दर्जा दिलाना रहेगी। भाजपा लगातार इस मामले को उठाती रही है और शीघ्र ही यह मामला सिरे चढऩे की संभावना है। सेब पर आयात शुल्क को बढ़ाने, सड़कों की दशा को सुधारना भाजपा की प्राथमिकता है तथा सरकार इस दिशा में काम कर रही है। एफ.सी.ए. क्लीयरैंस के कारण रुके विकास कार्यों को गति देने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए केंद्र से मामला उठाया जाएगा। प्रदेश हित से जुड़े अन्य मामलों को भी प्राथमिकता के आधार पर उठाया जाएगा। 

Ekta