920 प्रधानों ने किया पैसे का गबन, दोषी पाए जाने पर की जा रही 3.88 करोड़ की रिकवरी

Monday, Oct 19, 2020 - 11:11 PM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): पंचायत जनप्रतिनिधियों को पंच परमेश्वर की संज्ञा दी गई है, लेकिन देवभूमि हिमाचल के इन पंच परमेश्वरों के ईमान डोलने लगे हैं। इससे पंचायतें भ्रष्टाचार का अड्डा बन रही हैं। प्रदेश में बीते एक दशक के दौरान पंचायतों में गड़बडिय़ां करने वाले 920 पंचायत प्रधान जांच में दोषी पाए गए हैं। अब पंचायती राज विभाग इनसे गबन की गई राशि की रिकवरी कर रहा है। रिकवरी के लिए विभाग ने नोटिस जारी कर रखे हैं। पंचायती राज विभाग की मानें तो अब तक की जांच में प्रधानों ने 3.87,11,940 रुपए की राशि का गबन किया है। सिरमौर जिला भ्रष्टाचार में शीर्ष पर है। सिरमौर की पंचायतों में सबसे ज्यादा 1.06 करोड़ की रिकवरी पंचायत प्रधानों से होनी है।

इसी तरह शिमला जिला में 7.08 लाख, हमीरपुर में 20.45 लाख, ऊना में 18.22 लाख, किन्नौर में 13.53 लाख, कुल्लू में 23.15 लाख, लाहौल-स्पीति में 10 लाख, चम्बा में 35.91 लाख, मंडी में 78.59 लाख, कांगड़ा में 42.19 लाख तथा बिलासपुर जिला की पंचायतों में 34.07 लाख की वसूली पंचायत प्रधानों से करनी है। पंचायती राज विभाग के मुताबिक दर्जनों मामले ऐसे भी हैं जिनकी अभी जांच चल रही है। प्रधान के अलावा वार्ड मैंबर, उपप्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इनके खिलाफ  भी जांच चल रही है। जाहिर है कि जनसेवा की दुहाई देकर चुने जाने वाले कुछ जनप्रतिनिधि चुनाव जीतते ही सेवा भावना भूलकर अपनी जेब गर्म करने में जुट जाते हैं। ऐसे प्रतिनिधियों का रहन-सहन पांच सालों में ही बदल जाता है। लंबी-लंबी गाडिय़ां और आलीशान बंगले इन पांच सालों में ही इनके जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।

ऑडिट प्रणाली में लाना होगा सुधार
जानकारों की मानें तो पंचायत प्रधान सचिव व तकनीकी सहायक के साथ गठजोड़ करके विभिन्न स्कीमों में गड़बडिय़ां करते हैं। इसी तरह फर्नीचर इत्यादि की खरीद में भी पैसे का गबन करते हैं। इसे रोकने के लिए ऑडिट प्रणाली में सुधार करना होगा। सरकार को मनरेगा जैसी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग की तमाम योजनाओं का नियमित तौर पर ऑडिट सुनिश्चित करवाना होगा।

चुनें उसे जो ईमानदार हो
पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए प्रदेश के 52 लाख से अधिक मतदाताओं को आगामी पंचायत चुनाव में ऐसे जन सेवक को चुनना है जो अगले पांच साल तक ईमानदार प्रयासों से पंचायत की बेहतरी के लिए काम करे क्योंकि पंचायतें सशक्त होंगी तो ही देश की नींव मजबूत होगी। सांसद निधि, विधायक निधि, वित्त आयोग सहित केंद्र व राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का करोड़ों रुपया पंचायतों के माध्यम से खर्च किया जाता है। इसलिए भाई-भतीजावाद और अपना-पराया की भावना से ऊपर उठकर ईमानदार व्यक्ति को चुनें।

ब्याज सहित रिकवरी की जा रही
अतिरिक्त निदेशक पंचायती राज विभाग केवल शर्मा का कहना है कि जिन पूर्व व मौजूदा प्रधानों ने गड़बडिय़ां की हैं उनसे ब्याज सहित रिकवरी की जा रही है। रिकवरी नोटिस भेजकर इन्हें पैसा जमा करने को बोला जा रहा है। कुछ मामलों में अभी जांच चल रही है।

Kuldeep