छात्रवृत्ति घोटाला : CBI ने शिक्षा निदेशालय से कब्जे में लिया Record

Friday, May 17, 2019 - 10:21 PM (IST)

शिमला: 250 करोड़ रुपए से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में सी.बी.आई. की दबिश का दौर जारी है। शुक्रवार को भी केंद्रीय जांच ब्यूरो की अलग-अलग टीमों ने हिमाचल के साथ पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा के विभिन्न संस्थानों से अहम रिकॉर्ड कब्जे में लिया। इसके साथ ही शिमला स्थित शिक्षा निदेशालय से भी कुछ संस्थानों से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। सूचना के अनुसार बाहरी राज्यों के शिक्षण संस्थानों से जुटाए गए रिकॉर्ड की जानकारी अभी सी.बी.आई. की शिमला शाखा के पास नहीं पहुंची है जबकि प्रदेश के अंतर्गत जिन संस्थानों से रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया है, उसकी पूरी रिपोर्ट जांच अधिकारियों ने उपलब्ध करवा दी है।

प्रदेश सहि अन्य राज्यों में फैली हैं छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें

छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी फैली हुई हैं, ऐसे में सी.बी.आई. अभी रिकॉर्ड एकत्रित करने की दिशा में ही आगे बढ़ रही है। रिकॉर्ड कब्जे में लेने के बाद जांच एजैंसी उसका अध्ययन करेगी और उसके बाद अपनी जांच को आगे बढ़ाएगी। सूत्रों के अनुसार इस माह के अंत तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सूत्रों के अनुसार इस मामले में 26 के करीब निजी संस्थान जांच दायरे में हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में संबंधित संस्थानों के प्रबंधकों की दिक्कतें बढ़ना तय है। हालांकि मामले की जांच चली होने के चलते अभी सी.बी.आई. के अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।

अब तक कई संस्थानों में दी जा चुकी है दबिश

सी.बी.आई. की टीम अब तक प्रदेश के नाहन, बिलासपुर व कांगड़ा सहित सोलन में स्थापित कुछ निजी शिक्षणसंस्थानों में दबिश दे चुकी है। माना जा रहा है कि सी.बी.आई. की जांच में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। करोड़ोंरु पए के छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर सी.बी.आई. के शिमला थाने में  एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। हिमाचल सरकार ने पिछले साल इस मामले की जांच सी.बी.आई. को दी थी।

फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन

सामने आया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है। आरोप है कि निजी शिक्षण संस्थानों ने प्रदेश के हजारों छात्रों के वजीफे डकारे। इसके साथ ही वर्ष 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ  निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला।

Vijay