अंबुजा को SC से झटका, 36 करोड़ रुपए वसूलेगी हिमाचल सरकार

Saturday, Dec 16, 2017 - 12:14 AM (IST)

शिमला: सोलन जिला के दाड़लाघाट स्थित अंबुजा सीमैंट लिमिटेड से सरकार करीब 36 करोड़ रुपए की वसूली करेगी। कंपनी से यह वसूली सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रदेश सरकार के पक्ष में सुनाए गए निर्णय के तहत होगी। विद्युत दरों से संबंधित मामले को लेकर यह राशि 6 फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा गया है। इससे सरकारी खजाने को बड़ी चपत लगने से बच गई है। इससे पहले करीब 29 करोड़ रुपए बांड तथा 7 करोड़ रुपए कैश के रूप में अंबुजा कंपनी को दिए गए थे। यह मामला पीक लोड ऑवर सप्लाई चार्ज से जुड़ा है। इसे अंबुजा कंपनी ने टैरिफ का हिस्सा बताया था। इसको लेकर कंपनी ने 46.73 करोड़ रुपए लौटाने का दावा उद्योग विभाग पर किया था। कंपनी इस मामले को हाईकोर्ट भी ले गई, जिसमें सरकार के खिलाफ निर्णय आया। इसके बाद मामले का सरकारी स्तर पर आकलन किया गया।

उद्योग विभाग के सलाहकार को सौंपा मामला
सरकारी स्तर पर आकलन करने के बाद मामला उद्योग विभाग के सलाहकार डा. राजेंद्र चौहान को सौंपा गया। डा. चौहान ने इस मामले का अध्ययन करने के बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की सलाह दी। उनकी सलाह पर मामला सुप्रीम कोर्ट गया और फैसला सरकार के पक्ष में आया। इसके बाद बांड के रूप में जमा करवाए गए 29.67 करोड़ रुपए लौटाने के आदेश दिए गए। इस राशि को 6 फीसदी ब्याज सहित लौटाए जाने को कहा गया है। इस निर्णय के बाद अब बांड के रूप में जमा 29.67 करोड़ रुपए तथा कैश में दिए गए 7 करोड़ रुपए कंपनी को वापस लौटाने होंगे। सूत्रों के अनुसार एस.एल.पी. नंबर 2652 पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया गया। अब राज्य सरकार की तरफ से इस राशि की रिकवरी संबंधित कंपनी से की जानी है। 

दाड़लाघाट में 26 नवम्बर, 1995 को शुरू किया था उत्पादन
उल्लेखनीय है कि अंबुजा सीमैंट लिमिटेड को स्थापित करने का निर्णय 23 जनवरी, 1990 को लिया गया था। इसकी यूनिट ने 26 नवम्बर, 1995 में सोलन जिला के दाड़लाघाट में उत्पादन करना शुरू किया। इसी अवधि के दौरान हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड की तरफ से पीक लोड ऑवर सप्लाई चार्ज लेने संबंधी निर्णय भी लिया गया। इस निर्णय से अंबुजा कंपनी सहमत नहीं थी, जिसके चलते पहले मामला हाईकोर्ट गया और जहां पर सरकार हार गई। बाद में सरकार की तरफ से मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां पर कंपनी के खिलाफ निर्णय आया है। अब इस निर्णय के आधार पर कंपनी को यह राशि वापस सरकार को ब्याज सहित लौटानी होगी। 

उद्योग विभाग करेगा आगामी कार्रवाई
इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट बोर्ड (आई.डी.बी.) के सी.जी.एम. अनिल कपिल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा निर्णय आया है, जिसमें उद्योग विभाग को आगामी कार्रवाई करने को कहा गया है। इस निर्णय के अनुसार कंपनी को 6 फीसदी ब्याज के साथ राशि लौटानी होगी। जब उद्योग विभाग के सलाहकार डा. राजेंद्र चौहान से इस बारे संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वह प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हुए।