SC ने हिमाचल सरकार व संघ लोक सेवा आयोग को किया 5 लाख का जुर्माना, जानिए क्यों

Sunday, Feb 10, 2019 - 10:22 PM (IST)

शिमला: 42 वर्ष पूर्व से पदोन्नति का लाभ न दिए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार व संघ लोक सेवा आयोग पर 5 लाख रुपए का जुर्माना किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि मामले के तथ्यों के दृष्टिगत इस मुकद्दमेबाजी से बचा जा सकता था यदि राज्य सरकार व संघ लोक सेवा आयोग ने प्रार्थी चुनी लाल शर्मा के मामले को ध्यान से देख लिया होता व उन्हें आई.पी.एस. के पद पर समय पर पदोन्नति दे दी होती। शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुकद्दमेबाजी के परिणाम को देखने से पूर्व ही वर्ष 2015 में चुनी लाल शर्मा की मौत हो गई और उनकी विधवा पत्नी को मुकद्दमेबाजी को आगे चलाना पड़ा।

वर्ष 1977 में आई.पी.एस. के पद पर पदोन्नत होने का हक रखते थे चुन्नी लाल

शीर्ष अदालत ने कहा कि स्व. चुनी लाल शर्मा को गलत तरीके से पदोन्नति के लाभ से वंचित किया गया जबकि वह वर्ष 1977 में आई.पी.एस. के पद पर पदोन्नत होने का हक रखता था। न्यायालय ने राज्य सरकार व संघ लोक सेवा आयोग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए यह स्पष्ट किया कि चयन कमेटी ने 29 दिसम्बर, 1981 को स्व. शर्मा के बावजूद प्रार्थी के मामले पर गहनता से विचार नहीं किया। यही नहीं, वर्ष 2009 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चुनी लाल शर्मा के हक में निर्णय पारित किया था, जिसमें उनका नाम उपयुक्त स्थान पर वरिष्ठता सूची में अंकित करते हुए तमाम सेवा लाभ दिए जाने के आदेश जारी किए थे लेकिन फिर भी राज्य सरकार और आयोग की तरफ से इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया। जब प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष उनकी विधवा की तरफ से अवमानना याचिका दाखिल की गई तो संघ लोक सेवा आयोग सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों को ठीक पाते हुए उपरोक्त आदेश पारित कर दिए।

1977 से देने होंगे तमाम लाभ

न्यायालय ने 4 सप्ताह के भीतर प्रार्थी स्व. चुनी लाल शर्मा की विधवा को उनके तमाम सेवा लाभ वर्ष 1977 से अदा करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा कि जब प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रार्थी चुनी लाल शर्मा के 45 वर्ष पूर्व के बतौर डी.एस.पी. पद के रिकॉर्ड को पुन: बनाने के आदेश जारी किए, तब उन्हें वर्ष 2015 में पुलिस मैडल से सम्मानित किया गया था।

Vijay