सत्ती की बदजुबानी, जानिए क्या थी वजह

Monday, Apr 29, 2019 - 11:10 AM (IST)

शिमला (संजीव शर्मा): देशभर में अपनी नफासत को लेकर प्रसिद्ध हिमाचल की सियासत और सियासतदान आजकल अपने विवादित बोलों को लेकर सुर्खियों में हैं। ताजा मामला बी.जे.पी. प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती का है जिन पर राहुल गांधी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर निर्वाचन आयोग बैन तक चुका है। दिलचस्प ढंग से बैन समाप्त होते ही फिर सत्ती ने उसी अंदाज में विरोधियों के हाथ काटने की बात कह डाली तो क्या सत्ती यह सब जानबूझ कर कर रहे हैं ? क्या इसके पीछे कोई रणनीति है? इन्हीं तमाम सवालों को लेकर पंजाब केसरी संवाददाता संजीव शर्मा ने बी.जे.पी. अध्यक्ष से लम्बी बातचीत की। पेश हैं उसके सम्पादित अंश: 

सवाल: सतपाल सत्ती आप इससे पहले आपे से बाहर हुए हों यह कम ही देखा गया है तो फिर यह क्या है जो आप कर रहे हैं ? और क्यों कर रहे हैं? 

जवाब : देखिए जो हुआ उसका मुझे खेद है लेकिन कांग्रेस के नेता खासकर राहुल गांधी ने जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित भाषा का  इस्तेमाल किया है उससे जनता में रोष है और हमारे मन में भी पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर रोष है। मोदी जी ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी है। उनके लिए राहुल गांधी चोर जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिस कारण स्वाभाविक है कि गुस्सा आ जाता है। हालांकि मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा था सिर्फ फेसबुक का एक उदाहरण दिया था।    

सवाल: चलो मान लिया वह सब मीडिया ने आपके नाम लगाया लेकिन मंडी में भी तो आपने बाजू काट डालने वाली बात कही?

जवाब : कांग्रेस के नेता के लिए कोई कुछ बोलता है तो कांग्रेस ऐसा व्यवहार करती है मानो उनके जैसा कोई दूध का धुला नहीं है। कांग्रेस का जो भी विरोध करता है उससे उन्हें बड़ी तकलीफ होती है। इन्होंने हमारे नेताओं धूमल-शांता यहां तक कि अटल-अडवानी तक को नहीं बख्शा और उन पर भी अनर्गल टिप्पणियां कीं। हमारे नेता भी उतने ही सम्माननीय हैं जितने इनके, यह इनको समझना होगा अन्यथा ऐसा तो कहा ही जाएगा। इसलिए उनको भी संयम अपनाना होगा। राहुल गांधी को भी समझना होगा कि जब प्रधानमंत्री को चोर कहेंगे तो खुद कैसे बचे रहेंगे। हालांकि मैं इसे जस्टिफाई नहीं करता।  

सवाल: चलिए चुनाव की तरफ लौटते हैं। क्या रणनीति है सीटें रिटेन करने के लिए ?  

जवाब : पिछली बार अगर पार्टी जीती तो उसमें हमारे नेताओं, पार्टी और जनता के समर्थन का बड़ा योगदान था। तब हमारे पास सिर्फ कांग्रेस की नाकामियां गिनवाने का ही काम था क्योंकि हम विपक्ष में थे। अब डेढ़ साल से हमारी राज्य में सरकार है। 5 साल नरेंद्र मोदी सरकार ने जो काम किया वह सामने है। प्रदेश में जयराम ठाकुर ने हर पल जनहित के काम किए हैं। हमें विश्वास है कि इसके आधार पर हम पिछली सफलता रिटेन करने में सफल होंगे। 

सवाल: अगर इतनी ही उपलब्धियां हैं तो फिर क्यों टिकट कटे, पुराने लोग ही रिपीट क्यों नहीं किए?

जवाब : 2 लोगों का टिकट चेंज हुआ। शांता जी स्वेच्छा से पीछे हट गए लेकिन केंद्रीय  हाईकमान के सर्वे में यह सामने आया कि अगर शिमला में उम्मीदवार बदला जाता है तो ज्यादा मार्जिन से जीत सकते हैं। जाहिर है कि जिस गेंद पर ज्यादा रन मिलें उसे ही खेला जाएगा तो उस रणनीति के तहत हमने दोनों जगह नए कैंडीडेट दिए।  

सवाल: लेकिन एम.एल.ए. के अलावा कोई दूसरा नेता नहीं था ? अब उपचुनाव करवाना पड़ेगा उसमें भी खर्च होगा।

जवाब : फिलहाल हमारे सामने लोकसभा का चुनाव है। इसलिए उस हिसाब से बेहतर कैंडीडेट उतारे गए। विधानसभा का उपचुनाव कोई बड़ा मसला नहीं है ,उसे हम जीत ही लेंगे लेकिन लोकसभा के लिए एक-एक सीट जरूरी है। लिहाजा हमने  काफी सोच विचार के बाद मौजूदा विधायकों को उतारा है। हमें लगा कि ये लोग दिल्ली में जाकर ज्यादा बेहतर कर सकते हैं इसलिए उनका चयन किया गया।  

सवाल : सब ठीक करने के चक्कर में कुछ गड़बड़ भी हो गई। अनिल शर्मा, का एपिसोड हो या सुरेश चंदेल का ?

जवाब : अनिल शर्मा अच्छे आदमी हैं लेकिन गृह क्लेश के कारण उनका यह हाल हुआ। अपने परिवार की महत्वाकांक्षा के कारण उनको मंत्रिमंडल से जाना पड़ा। सुरेश चंदेल का जहां तक सवाल है तो पार्टी के पुराने कार्यकर्ता का जाना दुखद तो रहता ही है। हमारी तरफ से कोई चूक नहीं हुई। उनको कोई हानि-लाभ दिखा होगा इसलिए चले गए लेकिन बी.जे.पी. कॉडर आधारित पार्टी है इसलिए उनके जाने का नुक्सान नहीं होगा।  

Ekta