प्रदेश के हेल्थ विभाग को सरकार चला रही है या करप्शन गैंग? : राणा

punjabkesari.in Thursday, Jun 04, 2020 - 04:49 PM (IST)

हमीरपुर : प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग में बेखौफ भ्रष्टाचार ने सरकार की कारगुजारी की कलई खोलकर रख दी है। ऐसा लग रहा है कि स्वास्थ्य विभाग को सरकार नहीं बल्कि करप्शन माफिया चला रहा है। बीजेपी सरकार के शुरू दिन से ही चला यह भ्रष्टाचार विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना संकट के बीच बदस्तूर चलता रहा है और अब एक के बाद हुए एक घोटाले की फेहरिस्त सामने आती जा रही है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि अब ताजा फेहरिस्त में फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी का घोटाला सामने आया है। बेरोजगारी को लेकर जहां अनेक योग्यता रखने वाले युवक-युवतियां नौकरी की दरकार में मारे-मारे फिर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग में अब फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरियां देने का मामला सामने आया है। इस बेलगाम मामले में भर्ती व पदोन्नति (आरएंडपी) नियमों को बदलकर पदनाम तक बदल दिए गए हैं। 

उन्होंने बताया कि जानकारी यह आई है कि सत्ता संरक्षण में बेखौफ हुए अधिकारी ने अपनी हैसियत का फायदा उठाते हुए न केवल पत्नी का पदनाम बदला है बल्कि फर्जी आधार पर दी गई इस नौकरी में पत्नी को उच्च श्रेणी में लाकर सरकार को लाखों का चुना लगाने के कारनामे को भी अंजाम दिया है। हेल्थ विभाग के अनेक कर्मचारियों ने विभाग में निरंतर चल रही धांधलियों को लेकर इस मामले की शिकायत भी एडिशनल चीफ सेक्रेट्री आईडी धीमान को की है और अब आईडी धीमान ने घपलों के इस विभाग में इस मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि कर्मचारी बताते हैं कि इस विभाग पर सरकार की कोई पकड़ नहीं है और ऊंचे पदों पर बैठे लोगों ने विभाग में लूट मचा रखी है। हालांकि इस मामले की शिकायत राजभवन को भी की गई है। हेल्थ विभाग में अब भ्रष्टाचार माफिया का बोलबाला है। 2-4 अफसरशाही की जुंडली इस विभाग को मनमर्जी के मुताबिक हांक रही है। जिनके सामने अब सरकार पूरी तरह से पंगु साबित हो चुकी है। समझ में यह नहीं आता है कि विभाग को क्रप्शन माफिया चला रहा है या सरकार चला रही है। 

मसला पीपीई किट का हो या मामला सेनेटाइजर का हो या लाखों के महंगे दाम पर वेंटीलेटर खरीद का हो या फिर अब फर्जी नौकरियां देने का हो। स्वास्थ्य विभाग में घपले-घोटालों की सूची निरंतर लंबी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अब ताजा मामले में डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सैकड़ों रिवॉलविंग चेयर कोरोना संकट के बीच खरीदने के आरोप लगे हैं। यह कुर्सियां किस मकसद से खरीदी गई हैं और इन कुर्सियों के बिना मेडिकल कॉलेज में कौन सा काम रुका था, इसका न सरकार के पास कोई जवाब है न विभाग के पास कोई उत्तर है। हैरानी यह है कि कोरोना उपचार व दूसरी बीमारियों के उपचार के उपकरण, दवाईयों का बेशक टोटा चला है लेकिन कोरोना की आड़ में कुर्सियों की खरीद को अहमियत दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों के सीएमओ कार्यालयों में बिना जरूरत की करोड़ों की खरीद के चर्चे अभी चल ही रहे थे कि अब हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में कोरोना के बीच लग्जरी रिवॉलविंग कुर्सियों का मामला चर्चा में आया है। समझ में यह भी नहीं आ रहा है कि जब एक ओर सरकार ने आर्थिक कंगाली के नाम पर तमाम विकास कार्य बंद किए हुए हैं तो ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार करने के लिए करोड़ों का बजट कहां से आ रहा है। 

सरकार से जब जवाब पूछा जाता है तो सवाल कुछ और होता है जवाब कुछ और मिलता है। अब भ्रष्टाचार के डेमेज कंट्रोल में लगी सरकार के मंत्रियों व विधायकों ने कांग्रेस कार्यकाल के कथित मामलों को लेकर अपने भ्रष्टाचार का जवाब देने की बजाय बेतुके जवाब देना शुरू किए हैं। उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि मंत्री और विधायक करप्शन के खिलाफ किस जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं। जबकि प्रदेश में बीजेपी राज के आधे कार्यकाल में एक से एक भ्रष्टाचार का मामला उजागर हो रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार का असली चेहरा अब जनता के सामने आ चुका है। अब हेल्थ विभाग ही नहीं पंचायती राज मामले में भी लाखों के तुड़ी मामले ने भी सुर्खियां बटोरी हैं। इन्सानों से लगातार धोखा व बेइमानी करने वाली सरकार ने अब पशुओं से भी धोखा व बेईमानी करनी शुरू कर दी है। जो कि सरकार के असली सच को बयान कर रहा है।
 


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Edited By

prashant sharma

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