इस पवित्र झील का अस्तित्व खतरे में, लोगों में भारी रोष

Thursday, Feb 07, 2019 - 06:46 PM (IST)

रिवालसर: 3 धर्मों की आस्था की प्रतीक पवित्र रिवालसर झील स्थानीय प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण संकट के दौर से गुजर रही है। झील में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को नजर अंदाज किया जा रहा है तथा रोकथाम को लेकर कागजों पर केवल लकीरें ही खींची जा रही हैं। अप्रैल, 2018 में तत्कालीन एस.डी.एम. द्वारा मछलियों के लिए फीडिंग की रोकथाम को लेकर जारी की गई अधिसूचना का कोई असर नहीं हुआ है। ये बातें रिवालसर झील के अस्तित्व को बचाने में जुटी डिवैल्पमैंट एक्शन ग्रुप के अध्यक्ष अजय कुमार व संस्था के निदेशक नरेश शर्मा ने कहीं। इन्होंने प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि झील का पानी जो कभी दर्पण का एहसास दिलाता था, लेकिन मानवीय हस्ताक्षेप व अत्यधिक फिश फीडिंग से आज काली स्याही की तरह दिखाई दे रहा है जोकि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।

प्रशासन द्वारा किए बड़े-बड़े वायदे अभी तक कोरी घोषणाएं

 संस्था ने स्थानीय धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से लाखों खर्च कर फिश फीडिंग पर लगाम भी लगा दी थी, लेकिन प्रशासनिक सहयोग न मिलने से यह दोबारा शुरू हो गई है जो बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि झील बचाने को प्रशासन द्वारा किए गए बड़े-बड़े वायदे अभी तक कोरी घोषणाएं ही साबित हुई हैं, क्या अभी भी 2017 में घटी घटना, जिसमें टनों के हिसाब से मछलियां मरी थीं, उसी तरह की पुनरावृत्ति का इंतजार किया जा रहा है। डी.ए.जी. संस्था ने डी.सी. मंडी से झील बचाने को लेकर पूर्व की बैठकों में सुझाए गए उपायों को जमीनी स्तर पर लागू करने के साथ कड़े निर्णय लिए जाने की गुहार लगाई है।

 

Kuldeep