रिवालसर झील का अस्तित्व खतरे में, प्रदूषण-ऑक्सीजन की कमी से मर रही मछलियां

Thursday, Jul 04, 2019 - 12:28 PM (IST)

 

मंडी (ब्यूरो): पिछले 2 दशकों से अंधाधुंध निर्माण और मानवीय दखल से रिवालसर झील का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। झील में मछलियों के मरने के प्रमुख कारण प्रदूषण, कैचमैंट एरिया से बरसाती पानी जमा होने से ऑक्सीजन की कमी व अत्याधिक फीड का डाले जाना है। हालांकि वन विभाग कैचमैंट एरिया की ट्रीटमैंट कर अब यहां हरित आवरण बढ़ाने और अनुकूल जलवायु बनाने की भरसक कोशिश कर रहा है, लेकिन 3 धर्मों की इस सांझा स्थली में अनेक स्टेक होल्डरों के बीच आपस में तालमेल न बनने से यहां न केवल ऐतिहासिक झील का दायरा सिमटने की कगार पर है। एन.जी.टी. के निर्देशों पर यहां मैनेजमैंट प्लान भी बना है, जिसके आधार पर कुछ काम हो रहे हैं, लेकिन झील की सफाई बड़ी चुनौती बना हुआ है। 

हाईकोर्ट ने भी हस्तक्षेप कर विभिन्न विभागाध्यक्षों और विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई है, ताकि यहां लगातार मॉनीटरिंग की जा सके। यह कमेटी बैठकें तो कर रही है, लेकिन स्थायी हल नहीं निकाल पा रही है, क्योंकि इसका एक बड़ा कारण झील का धार्मिक महत्व से जुड़ा होना भी माना जा रहा है। भारत, भूटान और तिब्बत से हर वर्ष यहां धर्मत्रिवेणी में हजारों बौद्ध, सिख और हिंदू धर्म के श्रद्धालु आते हैं। झील के साथ लगते नालों को चैनेलाइज करने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत करोड़ रुपए को भी स्थानीय नगर पंचायत नहीं खर्च पाई है। इसके साथ झील परिसर में अवैध खोखों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जिससे यहां की सुंदरता भी बिगड़ रही है और झील में प्रदूषित पानी मिल रहा है। सिर्फ मछलियों के मरने पर ही यहां झील में ऑक्सीजन सिलैंडर प्रयोग करते हैं।

मछलियों के मरने का क्रम शुरू हो जाने से फूल जाते हैं प्रशासन के हाथ-पांव

हर वर्ष यहां प्रदूषण की मार से मछलियों के मरने का क्रम शुरू हो जाता है, जिससे प्रशासन के हाथ-पांव तो फूल जाते हैं लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। शहर की गंदगी बर्दाश्त करते-करते अब तो रिवालसर झील का रंग भी नीले से पीला पड़ने लग गया है। प्रदूषण की मार झेल रही झील के इस हाल से प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। आज तक किसी एक फैसले पर भी अमल नहीं हुआ है। इसका ताजा उदारहण हाल ही में एस.डी.एम. बल्ह द्वारा बुलाई गई मीटिंग में लिए गए निर्णय से ही पता चलता है कि बैठक में 3 जुलाई को रिवालसर झील में बड़ा सफाई अभियान चलाया जाना तय हुआ था। जिसमें क्षेत्र की संस्थाओं के लोगों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन प्रशासनिक उदासीन रवैये के कारण यह अभियान भी हवा-हवाई ही साबित हुआ।

Ekta