'नमामि गंगे' की तर्ज पर होगा सिंधु नदी बेसिन की नदियों का Restoration (Watch Video)

Friday, Jun 28, 2019 - 04:42 PM (IST)

शिमला (योगराज): विश्व में आज के समय में जल संकट तेजी से उभर रही बढ़ी समस्या है। हिमाचल प्रदेश में जल संकट से अछूता नहीं है। प्रदेश की नदियों में लगातार जल स्तर घटना जा रहा है और पानी की गुणवत्ता में भी कमी आई है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सिंधु नदी बेसिन की पांच प्रमुख नदियों (सतलुज, ब्यास, चिनाव, रावी और झेलम) का नमामि गंगे की तर्ज पर हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान पुनरुद्धार करने जा रहा है। इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय लांच वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें नदियों का वानिकी गतिविधियों के माध्यम से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए विशेषज्ञ ने विचार विमर्श किया।  

कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल का प्रयोग बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा हो फाहा है जिस वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है। जिसे बढ़ाने के लिए वनों की अहम भूमिका होती है इसलिए नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़ पौधे लगाने की जरूरत है। गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई कि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा नदी की पुनरुद्धार की डीपीआर को आधार बनाया जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान को इसके लिए एक वर्ष का समय दिया गया है। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान ने निदेशक सत्य प्रकाश नेगी ने बताया कि प्रदेश कि पंचा प्रमुख नदियों के पुनरुद्धार के लिए वर्कशॉप बुलाई गई है जिसमें पांच राज्यों के विषय विशेषज्ञ नदियों के घटते जलस्तर को कैसे बढाया जाये इस सुझाव देंगे। किस राज्य में नदियों के सरक्षण के लिए क्या काम किया जा रहा इस पर चर्चा की जाएगी। प्रदेश की नदियों के पानी का लगातार बिजली उत्पादन के दोहन किया जा रहा है और जनसंख्या वृद्धि के कारण जंगलों को भी नुक्सान हुआ है जिससे जल स्तर में कमी आई है। प्रदेश की नदियों के जल का मुख्य स्त्रोत पहाड़ियां और जंगल है जिनका सरक्षण करके नदियों को बचाया जा सकता है।

Ekta