नजरिया: इस्तीफा-ए इंदु, चिंता का बिंदु (Watch Video)

Friday, Jul 19, 2019 - 10:59 AM (IST)

शिमला (संकुश): हिमाचल बीजेपी की महिला मोर्चा अध्यक्ष इंदु गोस्वामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। क्यों ?? यह बात तो बाहर नहीं आई है, उन्होंने भी अभी कुछ ज्यादा कहने से इनकार कर दिया है। लेकिन यह खबर ही अपने आप में हैरत भरी है कि जहां पूरे देश में धड़ाधड़ बीजेपी में अन्य दलों के लोग आ रहे हैं वहीं अपनी ही सरकार होते हुए बीजेपी के बड़े पदाधिकारी इस तरह इस्तीफा देकर जा रहे हैं। हालांकि इंदु गोस्वामी ने बीजेपी नहीं छोड़ी है लेकिन उनका पद छोड़नाफिर भी बड़ी खबर है और खासकर सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया से गुज़र रही बीजेपी के लिए चिन्तन, मनन का विषय है। आम आदमी और हम जैसे कलम घिस्सुओं के लिए भी यह उत्सुकता पैदा करने वाला ही है क्योंकि जिस तरह से सूबे में जयराम ठाकुर का अधिपत्य बढ़ा है उसमे इस तरह की घटना अप्रत्याशित मानी जा रही है।

ज्यादा हैरानी इसलिए कि इंदु गोस्वामी को जयराम खेमे का ही माना जात  है। तो क्या कारण रहे इसकी विवेचना तो होगी ही और अभी नहीं तो समय के साथ वे सामने भी आएंगे ही। लेकिन इतना तय है कि उनके इस्तीफे ने जहां आम जन-मानस में बीजेपी के भीतर की घटनाओं को लेकर फिर से चर्चा शुरू करवा दी है वहीं जयराम के विरोधी खेमे को भी संजीवनी देने का काम किया है। प्रथम दृष्टया जो कारण इंदु गोस्वामी के इस्तीफे के नज़र आते हैं उनकी जड़ पालमपुर में  मालूम होती है। सूत्रों के मुताबिक महिला मोर्चा अध्यक्ष  पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा की पार्टी में वापसी से खुश नहीं थीं। प्रवीण शर्मा को विधानसभा नहीं मिली थी तो वे आज़ाद लड़े थे जिसका नुक्सान निश्चित तौर पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हुआ था। वे प्रत्याशी कोई और नहीं  खुद इंदु गोस्वामी ही थीं। ऐसे में लोकसभा चुनाव की आड़ में जब प्रवीण शर्मा ने फिर से पार्टी में एंट्री मारी तो इंदु का असहज होना स्वाभाविक था। उसके बाद से ही शायद उनका मन उखड गया था।  बाद की घटनाओं से उनका यह उखड़ना परिलक्षित भी हुआ।

उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांगड़ा में अनमने ढंग से ही हाज़िरी लगाई. यहां तक कि वे पालमपुर की महत्वपूर्ण जनसभाओं से भी नदारद पाई गई। दीप कमल की सूचनाएं बताती हैं कि इंदु गोस्वामी ने इस्तीफा अचानक नहीं दिया। उन्होंने पार्टी में हर फोरम बात उठाई ,लेकिन बात नहीं बनी जिस तेज़ी से उनके इस्तीफे वाली मेल अध्यक्ष से पहले मीडिया में पहुंची उस तेज़ी से उनकी चिंताओं वाली मेल्स अध्यक्ष और प्रभारी तक नहीं पहुंच पाईं। कोई शक नहीं कि एकाध को छोड़कर, उनके पीछे पालमपुर बीजेपी के ही तमाम लोग भी लगे हुए थे। ऐसे में जब उनको लगा कि कहीं से कुछ हिल नहीं रहा तो उन्होंने इस्तीफ़ा दे मारा। हालांकि शायद ही उन्होंने भी सोचा होगा कि इसके परिणाम क्या होंगे। उनके इस्तीफे ने बीजेपी में हलचल मचा दी है। मचेगी भी क्यों नहीं ?? आखिर जिसे विधानसभा में खुद प्रधानमंत्री के कहने से टिकट मिला हो उस नेता का अपनी ही सरकार में इतना खिन्न हो जाना असर तो डालेगा ही।  

पहले भी 'वैराग्य' में चली गयी थीं इंदु 

विद्यार्थी परिषद, युवामोर्चा से सियासत की सीढ़ीयां चढ़ने वाली इंदु गोस्वामी  इससे पहले भी सियासी सन्यास/वनवास पर रह चुकी हैं। उस समय भी बीजेपी का शासन था। हालांकि धूमल सरकार में उनके पास महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी थी लेकिन उसके बावजूद इंदु गोस्वामी करीब करीब चार साल तक पार्टी की मुख्य धारा से कटी रहीं। उस समय उनकी हालत न भीतर न बाहर जैसी रही। लेकिन  इस बार जिस तरह से उन्होंने महिला मोर्चा और फिर विधानसभा चुनाव  की टिकट सूची में एंट्री की थी उसके बाद से लग रहा था कि उनकी गाडी अब ट्रैक पर है और लम्बी चलेगी। लेकिन उन्होंने किसी स्टेशन पर पहुंचे बिना ही गाड़ी से छलांग लगा दी। जाहिर है चोट उन्हें भी आएगी और दर्द पार्टी को भी होगा।  

Ekta