हिमाचल में किराया बढ़ोतरी को लेकर निजी बस ऑप्रेटर्ज की हड़ताल पर गरमाई राजनीति

Friday, Sep 14, 2018 - 09:24 AM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में किराया बढ़ोतरी को लेकर निजी बस आप्रेटर्ज की हड़ताल पर राजनीति गर्मा गई है। सरकार ने 20 फीसदी किराया बढ़ौतरी के संकेत देकर निजी बस आप्रेटरों की हड़ताल को 25 सितम्बर तक स्थगित करवा दिया है लेकिन प्रदेश की जनता ने सरकार के इस फैसले को गलत बताया है। उनका कहना है कि हर बार हड़ताल कर और लोगों को परेशानी में डालकर निजी बस आप्रेटर्ज सरकार को आंखें दिखाकर किराया वृद्धि करवा रहे हैं। लोगों का कहना है कि हम सरकार के साथ हैं। कुछ लोगों ने कहा कि नोटबंदी और न जाने कितनी मुश्किलें झेलने का मादा रखने वाली भारत की जनता निजी बस आप्रेटरों की हड़ताल झेलने का मादा रखती है। अत: सरकार इस विषय पर न झुके। उनका तर्क है कि हर घर में वाहन हैं और उसके बाद परिवहन निगम की न जानें कितनी बसें बेकार खड़ी हैं। 

लोगों ने कहा कि सरकार थोड़ा साहस दिखाए तो यह हड़ताल का कोड़ खत्म हो सकता है। उनका कहना है कि 2 दिन निजी बसों के न चलने से जनता को तकलीफ जरूर हुई लेकिन इससे पैट्रोल कितना बचा? पर्यावरण कितना साफ हुआ? एक-दूसरे के आगे निकलने को लेकर झगड़े नहीं हुए। परिवहन निगम को राजस्व में बेशुमार वृद्धि हुई। रही जनता की मुसीबत की बात तो वह यह भी झेल लेगी। कुफरी निवासी आशिमा कहती है कि बस किराया बिल्कुल भी नहीं बढ़ना चाहिए। सरकार को टैक्स कम करना चाहिए और किराया न बढ़ाकर किसी और विकल्प पर विचार करना चाहिए। पालमपुर निवासी डाक्टर एन.के. कालिया कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में किराए की बढ़ौतरी को लेकर आम जनता पर असर पड़ेगा। मैंझा निवासी डिंपल का कहना है कि किराया बढ़ाने के बजाय प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से पैट्रोल व डीजल की कीमतों को कम करने की मांग करे। कीमतें कम करने पर ऐसी स्थिति पैदा नहीं हो सकती है। 

धर्मशाला के विनय कुमार कहते हैं कि सरकार निजी बस आप्रेटरों को ई.टी.एम. मशीनें उपलब्ध करवाती है तो निजी बस ऑप्रेटरों को भी निगम के बराबर राजस्व बराबर होगा। धर्मशाला के ही विरेंद्र कहते हैं कि अगर सरकार अभी झुक जाती है तो आने वाले समय में निजी आप्रेटर और कई मांगों को लेकर हंडताल का रास्ता अपनाकर सदा सरकार पर दबाव डालने का प्रयास करेंगे। हमीरपुर निवासी प्यार सिंह, बतन सिंह, परमा नंद, हेमराज, जयराज व अशोक ठाकुर का कहना है कि किराया बढ़ने से सरकार को 2019 लोकसभा चुनावों में लोगों के गुस्से से भुगतना पड़ेगा। हमीरपुर के दया राम व वीरेंद्र का कहना है कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बात करें तो वह अपने यात्रियों से पूरा किराया वूसल करता है। वे कभी हड़ताल नहीं करते। अगर प्रदेश सरकार निजी बस आप्रटरों को ई.टी.एम. मशीनें उपलब्ध करवा देती है तो निजी बस आप्रेटरों को भी निगम के बराबर राजस्व प्राप्त होगा। 

कुल्लू की चम्पा देवी कहती है कि बस ऑप्रेटर और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी यूनियनें किराया बढ़ाने के लिए कई बार दबाव बनाती हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे बेवजह के  दबाव में न आएं। कुल्लू की सपना कहती है कि पहले भी कई बार किराया बढ़ा। जिस सरकार ने वाहनों का किराया बढ़ाया है उस सरकार को जनता के रोष का भी सामना करना पड़ा है। चम्बा निवासी प्रीतिका शर्मा सुल्तानपुर, रजनी देवी चम्पा व नीलकमल ने भी सरकार को निजी बस आप्रेटरों के आगे न झुकने की बात कही है। मंडी निवासी इंद्र सिंह ठाकुर कहते हैं कि बस किराया बढ़ाने की बजाय निजी बस आप्रेटरों से वार्ता कर इसका समाधान निकालना चाहिए।

किराया बढ़ौतरी विद्यार्थियों से अन्याय
ऊना की कालेज छात्रा राधा, अर्चना, दिव्य, आराधना, अभिषेक, रोहित, खुल्लर व विशू सहित कई अन्य छात्रों ने किराए में वृद्धि को गलत फैसला करार दिया है। कालेज छात्रा सोनिया, नीलम शर्मा, शिव वालिया व शिवानी का कहना था कि निजी बस आप्रेटरों द्वारा किराए में बढ़ौतरी को लेकर जो 2 दिन हड़ताल की थी वे किसी भी लिहाज से सही नहीं थी। अगर प्रदेश सरकार निजी बस आप्रेटरों के झांसे में आकर किराए में बढ़ौतरी करती है तो ये स्कूल व कॉलेज आने वाले छात्र व छात्राओं के साथ अन्याय होगा।  कुल्लू की छात्रा सोनिका नेगी का कहना है कि सफर महंगा नहीं होना चाहिए। इसके लिए सरकार कोई बीच का रास्ता निकाले। कुल्लू की ही छात्रा नीलम का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार किराए में बढ़ौतरी करती है तो आम जनता खासकर कॉलेज छात्र सरकार के खिलाफ हो जाएंगे। धर्मशाला कॉलेज की छात्रा शिवानी का कहना है कि अगर सरकार कैबिनेट मीटिंग में निजी बस आप्रेटरों की मांगों को मान लेती है तो बसों में सफ र करना आम आदमी के लिए दिक्कत भरा होगा।

कुछ लोगों ने कहा-सरकार भी रखे ये शर्तें
दूसरी तरफ कुछ लोगों का कहना है कि अगर सरकार निजी बस ऑप्रेटरों की मांग मानते हुए किराया बढ़ौतरी करती है तो सरकार भी अपनी शर्तें निजी बस आप्रेटरों के समक्ष रखे जिनमें निजी ऑप्रेटर के चालक-परिचालक लोगों से बदसलूकी से पेश न आएं। समयसारिणी के लिए उलझते देखे जाने तथा तेज रफ्तार चलने पर भी इन पर सख्त कार्रवाई की शर्त रखी जाए। लोगों ने सरकार से यह शर्त भी रखने को कहा कि परिवहन निगम की तरह निजी बसें भी स्वतंत्रता सेनानियों, महिलाओं, बच्चों व अपंगों सहित अन्य सरकारी सेवाओं की तरफ नि:शुल्क सेवा का लाभ दें। 

निजी बस आप्रेटर्ज का तर्क
राज्य में वर्ष 2013 में किराए में 30 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इसके बाद पांच वर्षों में किराया नहीं बढाय़ा गया है। बीते 5 वर्ष में डीजल एवं पैट्रोल की कीमतों में दोगुना से भी अधिक वृद्धि हो चुकी है और इसके साथ ही स्पेयर पार्ट, इंश्योरैंश का खर्च भी दोगुना तक बढ़ गया है। वर्ष 2010 में जिन बसों की कीमत 10 लाख रुपए तक थी वही अब 18 लाख रुपए तक पहुंच चुकी है। ऐसे में किराया बढऩा चाहिए। 

सरकार ने बस किराया बढ़ाया तो आंदोलन
प्रदेश सरकार द्वारा बस किराए में बढ़ौतरी के प्रस्ताव की शिमला नागरिक सभा ने कड़ी निंदा की है। सभा ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर यह किराया बढ़ौतरी अमल में लाई गई तो जनता आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि डीजल व पैट्रोल पर वैट में कटौती की जाए। शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि प्रदेश सरकार  किराए में वृद्धि करके आम जनता पर भारी बोझ लादना चाहती है। प्रदेश में पहले ही पूरे देश की तुलना में सबसे ज्यादा किराया है। 

यहां फंसा बात का पेंच
हिमाचल निजी बस आप्रेटर यूनियन के प्रधान राजेश पराशर का कहना है कि सरकार से हमने 50 प्रतिशत तक किराया बढ़ौतरी की मांग की थी। सरकार ने किराया 1 रुपए 45 पैसे से बढ़ाकर 1 रुपए 75 पैसे करने का आश्वासन दिया है जबकि मैदानी इलाकों में 20 पैसे प्रति किलोमीटर बढ़ाने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि राज्य में यूनियन एक साथ है चम्बा में मणिमहेश यात्रा के चलते निजी बस ऑप्रेटरों ने हड़ताल में भाग नहीं लिया जबकि राजधानी शिमला में चलने वाली निजी बस ऑप्रेटरों की मांग अलग है। 

Ekta