राहुल ने नहीं दिया संकेत, फिलहाल सुक्खू के हाथ में रहेगी संगठन की कमान

Friday, Sep 08, 2017 - 12:24 AM (IST)

शिमला: हिमाचल कांग्रेस का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटवाने पर अड़े मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपने रुख पर कायम हैं। वहीं सुक्खू समेत प्रदेश के कई नेताओं ने वीरवार को दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और सियासी हालात की जानकारी दी। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे और सह प्रभारी रंजीता रंजन ने भी राहुल गांधी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि पार्टी का विवाद सुलझाने के लिए शिंदे शुक्रवार से हिमाचल प्रवास पर जाएंगे। हिमाचल में 3 महीने के बाद विधानसभा चुनाव हैं। 

पार्टी की कमान अपने हाथों में चाहते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह चुनाव से पहले पार्टी की कमान अपने हाथों में चाहते हैं। उन्होंने अपनी मंशा से पिछले दिनों न सिर्फ  पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी को अवगत करवा दिया बल्कि तल्ख तेवर दिखाते हुए यह भी कह दिया था कि अगर सुक्खू को चुनाव से पहले नहीं हटाया गया तो वे न चुनाव लड़ेंगे और न ही लड़वाएंगे। उनके इस रुख ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ा दी है। वीरभद्र सिंह की चेतावनी को हल्के में लेने से पार्टी को चुनावी नुक्सान उठाना पड़ सकता है लेकिन हाईकमान यह भी नहीं दिखने देना चाहता कि वह कमजोर है। लिहाजा हर पहलू पर विचार कर रहा है। 

राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं सुक्खू
वीरभद्र सिंह जिस दिन सोनिया गांधी से मिले थे, राहुल विदेश में थे। हिमाचल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को राहुल गांधी का करीबी कहा जाता है। इसलिए दिल्ली वापस आने के साथ ही राहुल गांधी ने हिमाचल प्रदेश के मामले पर पार्टी नेताओं से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। वीरवार को शिंदे भी महाराष्ट्र से दिल्ली पहुंच गए। सूत्र बता रहे हैं कि लंबी चर्चा के बाद राहुल गांधी ने सुक्खू को फिलहाल हटाए जाने का कोई संकेत नहीं दिया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 3 महीने बाद जब चुनाव में उतरना है तो संगठन में किसी भी तरह का बदलाव पार्टी के लिए नुक्सानदेह साबित हो सकता है। 

मामले को सुलझाने के लिए आया यह सुझाव 
समाधान के लिए यह सुझाव आया है कि अध्यक्ष सुक्खू ही रहें, चुनावी रणनीति, प्रत्याशी चयन और प्रचार कार्यों में वीरभद्र सिंह की भूमिका को थोड़ा बढ़ा कर मामले को सुलझा लिया जाए लेकिन इस बारे में वीरभद्र सिंह और उनके समर्थकों से अभी बात होनी है। बताया जा रहा है कि वीरभद्र सिंह को भी वीरवार को दिल्ली राहुल गांधी से मिलने आना था लेकिन मौसम खराब होने के कारण वे दिल्ली नहीं जा सके। अलबत्ता वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स जरूर दिल्ली में बनी रहीं और प्रभारी से मिलीं।

स्टोक्स, कौल और बाली की मंत्रणा से गरमाया माहौल
वीरवार सुबह दिल्ली में मंत्री विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर और जी.एस. बाली ने आपस में मंत्रणा की। तीनों नेताओं की हुई उक्त बैठक को लेकर भी सियासी गलियारों में चर्चा का माहौल गरमाया हुआ है। चुनाव को लेकर गठित की जाने वाली प्रचार, घोषणा पत्र व अन्य कमेटियों के गठन पर भी चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो इसके तहत मुख्यमंत्री को चुनावी प्रचार कमेटी का जिम्मा तथा घोषणा कमेटी का जिम्मा आई.पी.एच. मंत्री विद्या स्टोक्स को दिया जा सकता है। इसके साथ ही घोषणा पत्र कमेटी में जी.एस. बाली को भी शामिल किया जाएगा।

पार्टी में किसी भी तरह के मतभेद और मनमुटाव नहीं : रंजीता
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद हिमाचल कांग्रेस की प्रदेश सह प्रभारी सांसद रंजीता रंजन ने मीडिया के सवालों पर पार्टी के भीतर किसी भी तरह के मतभेद और मनमुटाव से इंकार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से हुई मुलाकात के दौरान आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई। वीरभद्र की नाराजगी और उनकी चिट्ठी से जुड़े सवाल पर कांग्रेस सांसद ने कहा कि वे 6 बार के मुख्यमंत्री हैं, कांग्रेस में उनका सभी सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि जहां 4 बर्तन होते हैं, वहां खड़बड़ होती ही है। यह कोई गंभीर बात नहीं है, सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे।