शिमला में मुहर्रम पर निकला जुलूस, शिया समुदाय ने खून बहाकर 'हुसैन की कुर्बानी' को किया याद(Video)

Tuesday, Sep 10, 2019 - 04:00 PM (IST)

शिमला (तिलक राज): मुहर्रम के अवसर पर मंगलवार को शिमला में शिया समुदाय ने मतमे हुसैन की याद में जुलूस निकाला गया। हुसैन की याद में शिया समुदाय ने कृष्णानगर इमामबाड़े से बेरियर कब्रिस्तान तक ताजिया निकाला। समुदाय के लोगों ने अली या हुसैन कह कर जंजीरों से खून बहा कर 'हुसैन की कुर्बानी' को याद किया गया। समुदाय के लोगों ने लोहे की जंजीरों व चमड़े की बेल्ट से अपनी छाती और सिर पर वार किए, जिसमें दर्जनों युवा खून से लथपथ हो गए। जख्मी लोगों के उपचार के लिए डॉक्टर की टीम भी साथ थी।

मौलाना काजमी रजा नकवी का कहना है कि आपसी भाईचारे के लिए यह जलूस निकला जाता है और हुसैन ने सभी को मिलजुल कर रहने का संदेश दिया है और आज के दिन हुसैन ने कर्बला में शहादत दी थी, जिसे बड़े गमगीन रूप से हर साल मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि शिया समुदाय मुहरम के दस रोजे रखे जाते हैं और अतिम मुहर्र्म पर जलूस निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि इसी दिन 1430 साल पहले करबला के मैदान में हुई शहादत का मातम आज भी मुस्लिम समुदाय के लोग गम से मनाते हैं। 


इस दिन रसूल के नवा से ‘इमाम हुसैन अलै ही स्लाम’ के परिवार सहित यजीद नामक दुराचारी, हिंसा के खिलाफ जंग की शहादत का मातम आज भी मनाया जाता है। इसमें इमाम हुसैन के परिवार सहित 72 लोगों में छह महीने का बच्चा ‘अलीअसगर अलै ही स्लाम’ तक को यजीद ने करबला के मैदान में भूख प्यास दस मुहर्रम को शहीद कर दिया गया।

इसी के शोक व गम में आज भी मातमे हुसैन मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस दौरान छोटे से बड़े शिया समुदाय के लोग खून बहाने से जरा भी नहीं कतराते। उन्होंने बताया कि इस दिन लोगों को अपने शरीर में कष्ट देने में दर्द नहीं होता। शिया समुदाय के लोग इसे चमत्कार मानते हैं। जुलूस ताबूत खाना में ले जाकर समाप्त किया गया। इस दौरान प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए थे।

Ekta