शिमला में कल से थम जाएंगे प्राइवेट बसों के पहिए! जानिए क्या है बजह?

punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 01:11 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। देवभूमि हिमाचल की राजधानी शिमला में कल, यानी सोमवार (3 नवंबर) से परिवहन व्यवस्था पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली निजी बसें अनिश्चितकाल के लिए सड़कों से हट जाएंगी। शिमला सिटी निजी बस ड्राइवर-कंडक्टर यूनियन ने प्रशासन और हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) पर 'पुराने वादे भुलाने' का गंभीर आरोप लगाते हुए यह कड़ा फैसला लिया है।

हड़ताल क्यों? रूट विवाद बना जड़

प्राइवेट मिनी बस ड्राइवर एवं कंडक्टर यूनियन का कहना है कि शहर के अंदर रूटों की व्यवस्था और परिचालन को लेकर लंबे समय से जारी विवाद पर न तो प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया है और न ही परिवहन विभाग ने। यही मुख्य कारण है कि उन्हें यह 'अनिश्चितकालीन चक्का जाम' जैसा सख्त कदम उठाना पड़ रहा है।

यूनियन के मुताबिक, यह रोष यूं ही नहीं भड़का है। बीते 12 अक्टूबर को आरटीओ कार्यालय में HRTC के वरिष्ठ अधिकारियों और निजी बस ऑपरेटरों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में सर्वसम्मति से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे:

बाहरी बसों पर रोक: 40 किलोमीटर से अधिक दूरी से आने वाली बसों को शिमला शहर के भीतर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

HRTC का दायरा सीमित: स्कूल ड्यूटी पर लगी HRTC की बसें स्कूल के बच्चों के अलावा किसी अन्य यात्री को नहीं उठाएंगी।

निश्चित रूट का पालन: बिना निर्धारित रूट के किसी भी बस को शहर के मध्य से गुजरने नहीं दिया जाएगा।

वादाखिलाफी का आरोप और बढ़ता रोष

यूनियन का आरोप है कि बैठक में लिए गए इन स्पष्ट फैसलों के बावजूद, जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं आया है। शहर के रूटों पर निजी और सरकारी बसों के बीच प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे उनके व्यवसाय और संचालन में मुश्किलें आ रही हैं। प्रशासन और संबंधित विभाग की ओर से 'सन्नाटा' और कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण निजी बस चालकों और परिचालकों में भारी गुस्सा है।

नतीजतन, 3 नवंबर (सोमवार) से सभी निजी बसें आरटीओ कार्यालय के बाहर खड़ी कर दी जाएंगी। शहर में एक भी निजी बस नहीं चलेगी। इस व्यापक हड़ताल का सीधा असर हजारों दैनिक यात्रियों, छात्रों, और कर्मचारियों पर पड़ेगा, जिन्हें रोज़ाना शिमला और उसके आसपास के क्षेत्रों में आने-जाने के लिए इन बसों पर निर्भर रहना पड़ता है। शहर की परिवहन व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा सकती है।


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Content Editor

Jyoti M

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