हिमाचल में निजी बस ऑपरेटर दे रहे दो तरह के टैक्स

Sunday, Aug 04, 2019 - 10:12 AM (IST)

शिमला (राजेश): हिमाचल में निजी बस आप्रेटरों से 2 तरह के टैक्स वसूले जा रहे हैं, जबकि पंजाब में निजी बस आप्रेटरों से एक ही तरह का टैक्स लिया जाता है। निजी बस आप्रेटरों ने हिमाचल में भी सिंगल विंडो सिस्टम के द्वारा एक ही टैक्स लगाने का प्रावधान की मांग परिवहन मंत्री से की है। यह मांग निजी बस आप्रेटर यूनियन परिवहन मंत्री से अगले सप्ताह होने वाली बैठक से पहले उन्हें भेजे गए 10 सूत्रीय मांग पत्र में की है। मांग पत्र के माध्यम से यूनियन प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने कहा कि निजी बस आप्रेटर की मांगें पिछले कई समय से हैं। जिस पर सरकार को सोचने की जरूरत है।  

सरकार के अलग नियमों से निजी बस आप्रेटरों को घाटे का कारोबार करना पड़ रहा है। उन्होंने परिवहन मंत्री से आशा व्यक्त की वह बैठक में प्रदेश के सभी निजी बस आप्रेटरों से विचार-विमर्श के बाद निजी बस आप्रेटरों की समस्याओं का निराकरण करेंगे। उन्होंने मांगों को लेकर कहा कि पूर्व सरकार द्वारा निजी बस आप्रेटरों सहित परिवहन व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों पर ग्रीन टैक्स और सैस्स की आड़ में टैक्स के ऊपर एक और टैक्स लादा गया है, जिससे निजी बस आप्रेेटर एक साल में 17 बार टैक्स देता है जो कि न्याय संगत नहीं है।

बस रूट हस्तांतरण न होने पर परेशान बस आप्रेटर

बस रूट हस्तांतरण न होने पर बस आप्रेटर परेशान हैं। रूट परमिट हस्तांतरण न होने के कारण निजी बस आप्रेेटर परेशानी महसूस कर रहा है। बस को रूट परमिट के बिना किसी और तरीके से चलाना मुश्किल है इसलिए पहला बस आप्रेटर है वह एन.ओ.सी. दे देता है कि वह बस को रूट पर नहीं चलाना चाहता और अगर इस बस का रूट परमिट दूसरे के नाम बस के साथ ट्रांसफर हो जाएं तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। 

ये समस्याएं भी बताईं मंत्री को 

निजी बस आप्रेेटरों ने अपनी मांगों को लेकर परिवहन मंत्री को बताया कि अगर कुछ टैक्स देना बकाया रह जाता है तो न उनको पासिंग परमिशन दी जाती है न ही रूट परमिट नवीनीकरण किया जाता है, लेकिन यह लो लोर बसें बिना रूट परमिट की हिमाचल प्रदेश की सड़कों में दौड़ रही है और परमिट न होने के बावजूद इन बसों को पास किया जा रहा है। किसी बस आप्रेेटर का रूट परमिट में कोई अच्छा काम नहीं चल रहा होता तो कुछ पैसा कमाने के लिए, वहीं बस आप्रेेटर किसी स्पैशल पार्टी और शादी इत्यादी की बुकिंग कर लेता है, लेकिन विभाग द्वारा स्पैशल परमिशन बंद कर ली गई है, जिस कारण निजी बस आप्रेेटरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

इसके अतिरिक्त हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा सवारियों को कई तरह के रियायती पास दिए गए हैं जोकि माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। इसलिए सरकारी बसों में रियायती पास बंद किए जाएं। यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि यदि कोई आप्रेेटर अपनी बस का रूट परमिट रिन्यू नहीं करवा सकता है तो उसे 10 हजार प्रति महीना के हिसाब से पैनल्टी लगाई जाती है अगर किसी बस का महीने का टैक्स 5000 है तो उसको 10000 जुर्माना देकर अपने रूट परमिट को रिन्यू करवाना पड़ता है जो तर्कसंगत नहीं है।

Ekta