सरकार से अनुसूचित जाति के लोगों के हितों की लड़ाई लड़ेगा महासंघ

Sunday, Mar 01, 2020 - 04:04 PM (IST)

शिमला (योगराज): हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों की हितों की लड़ाई लडऩे के लिए अनुसूचित जाति महासंघ का गठन हो गया है। प्रदेश में 25 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं। महासंघ के मुताबिक हिमाचल प्रदेश पंजाब के बाद दूसरा ऐसा राज्य है जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या 25 फीसदी से ज्यादा है। इस जनसंख्या पर 25 फीसदी बजट खर्च होना चाहिए लेकिन हिमाचल में ऐसा नही हो रहा है सिर्फ 5 फीसदी बजट ही अभी तक खर्च हो रहा है। परिणामस्वरूप प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोग अभी भी पिछड़े हुए हैं। अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना में हिमाचल को जो मिलना चाहिए वह खर्च नहीं हो रहा है। कई योजनाएं लैप्स हो रही हैं। जिला स्तर पर इन योजनाओं के कार्यान्वयन पर जो बैठकें होनी चाहिए वे भी नहीं हो रही हैं।

हिमाचल अनुसूचित जाति महासंघ के प्रवक्ता पीएस धरेक ने बताया कि योजना/नीति आयोग के लिखित निर्देशों का पालन करने की बजाय हिमाचल सरकार कोई काम नहीं कर रही है। हिमाचल में कर्नाटक, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल की तर्ज पर भूमिहीनों को न तो भूमि दी जा रही है और न ही बिना मकान वालों को मकान दिए जा रहे हैं। अनुसूचित जाति महासंघ भी उपयोजना के लिए कानून की मांग करता है। इस बारे में सरकार एवं राज्यपाल को भी अवगत करवा दिया गया है।

यदि इस पर कोई निर्णय नहीं आता है तो महासंघ आगामी आंदोलन की रणनीति तैयार करेगा। महासंघ ने सरकार 2 मांगें उठाई हंै, जिसमें प्रदेश के अनुसूचित जाति को दिए जानेे वाले संवैधानिक अधिकारों में राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशें लागू करने और अनुसूचित जाति के लिए रखे गए बजट को खर्च करने के लिए कानून बनाया जाए ताकि बजट अनुसूचित जाति के लोगों में ही खर्च हो सके कहीं दूसरी योजनाओं में नहीं।                      

Vijay