20 वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों के लाइसैंस रद्द

Thursday, Aug 22, 2019 - 12:34 PM (IST)

शिमला (राजेश): परिवहन विभाग ने जिला शिमला में 2 वाहन प्रदूषण केंद्रों को छोड़कर सभी 20 प्रदूषण केंद्रों के लाइसैंस रद्द कर दिए हैं। जिला के सभी वाहन मालिक फिलहाल शिमला शहर मात्र 2 वाहन प्रदूषण केंद्रों में ही जांच करवा सकेंगे और वाहन प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र ले सकेंगे और यह प्रमाण पत्र वैध भी होंगे।

विभाग ने इन दोनों केंद्रों के नाम भी जारी किए हैं। इनमें एक केंद्र राजवीर मोटर कनलोग व दूसरा अमित नंदा मोटर विकासनगर है। इन दोनों मोटर्स ने अपनी मशीन अपग्रेड करवा ली है। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जिला शिमला में करीब 22 वाहन प्रदूषण जांच केंद्र थे और इनमें से 10 केंद्र वैलेड नहीं थे, क्योंकि उन्होंने अपनी रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं करवाई थी। इनमें 12 केंद्र वैलेड थे, लेकिन इनकी मशीनें अपग्रेड नहीं थी।

परिवहन विभाग ने इन 12 केंद्रों को मई माह में नोटिस जारी किया था कि वह अपने केंद्रों को वाहन सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रड करें और अपनी मशीनें अपग्रेड करवाएं, लेकिन इनमें से मात्र 2 ने ही वाहन सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रेशन करवाई और मशीनों को अपगे्रड किया, वहीं 10 केंद्रों की ओर से कोई जवाब नहीं आया जिस पर आर.टी.ओ. शिमला ने नोटिस का समय पर होने पर बुधवार को वाहन प्रदूषण जांच केंद्र की मान्यता कैंसल कर दी।


जांच केंद्रों में 3 केंद्र एच.आर.टी.सी. के भी शामिल

परिवहन विभाग ने जिन 10 प्रदूषण जांच केंद्रों के लाइसैंस कैंसल किए हैं। इनमें 3 वाहन प्रदूषण जांच केंद्र एच.आर.टी.सी. के भी हैं। विभाग ने निगम प्रबंधन को भी केंद्रों को अपग्रेड करवाने के लिए नोटिस दिया था, लेकिन निगम प्रबंधन ने तीनों केंद्रों को अपग्रेड नहीं करवाया है, ऐसे में एच.आर.टी.सी. भी अपनी बसों का प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र हासिल नहीं कर सकेंगे।

फर्जी तरीके से भी वाहन मालिक ले रहे थे प्रमाण पत्र

जिला में वाहन मालिक फर्जी तरीके से भी वाहन प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र हासिल कर रहे थे। क्योंकि मौजूद समय में जो वैंडर प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे। उनमें कंपनी के सॉफ्टवेयर ही होते थे और वह अपनी मर्जी से प्रमाण पत्र निकाल देते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के बाद निर्देश जारी हुए थे कि वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों का पूरा डाटा परिवहन विभाग के वाहन सॉफ्टवेयर पर आना चाहिए। इसके लिए एन.आई.सी. ने एक सॉफ्टवेयर भी तैयार किया था, जिसमें सभी केंद्रों यानी वैंडरों को रजिस्ट्रेशन करवानी थी और मशीनों को अपग्रेड करना था। लेकिन जिला शिमला में मात्र 2 ने ही रजिस्ट्रेशन करवाई।

Edited By

Simpy Khanna