दयनीय हालत में पटवारखाना, विभाग नहीं ले रहा है कोई सुध

punjabkesari.in Monday, Sep 21, 2020 - 02:16 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप) : लगघाटी के शांलग में बने पटवारखाने की हालत काफी दयनीय हो चुकी है। एक-आधा साल पहले पटवारखाने को बंद किया गया। लिहाजा उसके बाद पटवारखाना और भी जर्जर हो गया। इसकी रखवाली करने वाला कोई नहीं है। पटवारखाना बनाने के लिए क्षेत्र की एक महिला ने अपनी भूमि भी दान की थी। लेकिन आज उसे भी काफी दुख पहुंच रहा है कि इसकी हालत कैसी हो गई है। महिला का कहना है कि यदि पटवारखाने की ऐसी ही उपेक्षा करनी थी तो फिर इसे खोलने का औचित्य ही क्या था। कुछ समय पहले बैठने के बाद भवन की दीवारों में दरारें पड़ने के बाद अब भवन कभी भी ढहने के कगार पर है। सरकार की ओर से जमीन के रिकार्ड के संबंध में ग्रामीणों को डुंखरीगाहर के अंदर ही सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए पटवारखाना के भवन का निर्माण करवाया था। 

निर्माण होने के कुछ दिन बाद तो यहां पटवारी ने बैठकर काम किया जिसका ग्रामीणों को फर्द निकालने या इतकाल के संबंध में काम करवाने में गांव के अंदर ही सुविधा मिली। इसके बाद पटवारी ने भवन की जर्जरता को देखते हुए भवन को दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया। इसका सबसे अधिक घाटा यहां की जनता को उठानी पड़ी है। पटवारखाना इस स्थान से नागुझौर के लिए शिफ्ट कर दिया। ग्रामीणों को 3 किलोमीटर का फासला तय करते हुए यहां काम करवाने के लिए पहुंचना पड़ा। हैरत की बात तो यह है कि जिला प्रशासन व संबंधित विभाग को भी इस बारे में कई बार अवगत कराया जा चुका है। बाकायदा पंचायत ने रेजुरेशन भी पास कराया। पटवारखाने के लिए 8 बड़े-बड़े गांव आते हैं, जिनकी आबादी 2400 से 2500 के करीब हैं। इतनी आबादी को पटवारखाने की जर्जर हालत के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसी दुर्गति पर अंदेशा नहीं था :जोगिंद्री

पटवारखाने के लिए अपनी जमीन दान कर चुकी जोगिंद्री का कहना है कि जब पंचायत के भीतर पटवारखाना खोला जा रहा था तो जमीन देनी की बारी आई। तो उन्होंने अपनी जमीन इसके लिए दे दी। लेकिन आज पटखाने का कोई भी फायदा नहीं दिख रहा है। अपना ही पटवारखाना होने के कारण काम के लिए दूसरे स्थान पर जाना पड़ रहा है। इसके कारण बहुत अधिक परेशानियां हो रही है। आबादी बहुत अधिक है और सुनने वाला कोई नहीं है। जब जिला प्रशासन व राजस्व महकमे को पटवारखाने की दयनीय हालत से सूचित किया गया है तो फिर इस पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है।

सफेद हाथी साबित हो रहा है पटवारखाना : देवेंद्र शर्मा

स्थानीय निवासी देवेंद्र शर्मा का कहना है कि पटवारखाने के साथ एक डिस्पेंसरी भी है। यहां से आने-जाने वालों का लगा रहता है। इसी के साथ आम रास्ता होने के बाद लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। पशुओं व छोटे बच्चों को यहां से ले जाना खतरे से खाली नहीं है। इनका कहना है कि या तो पटवारखाने को नये सिरे से बनाया जाये या फिर इसकी मुरम्मत की जाये। तभी इसका फायदा स्थानीय आबादी को मिल जाएगा। नहीं तो पटवारखाना यहां की जनता के लिए किसी सफेद हाथी की तरह साबित होगा।

बुजुर्गों को उठानी पड़ रही हैं दिक्कतें : पंचायत प्रधान

ग्राम पंचायत डुंखरीगाहर के प्रधान पूर्ण का कहना है कि ग्राम पंचायत डुंखरीगाहर के पटवारखाने की हालत बहुत बुरी है। हाल ही में 2018-19 तक तो यहां पर काम सुचारू रूप से होते रहे। लेकिन उसके बाद भवन में दरारें पड़ने के बाद भवन असुरक्षित हो गया। काम को देखते हुए पटवारखाने को नागुझौर के लिए शिफ्ट किया गया। लेकिन बुजुर्गों को इसके कारण काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है। 3 किलोमीटर की पैदल दूरी उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। प्रधान का कहना है कि हमने इस संदर्भ में जिला प्रशासन को भी अवगत किया था। पत्र पेषित भी किए थे लेकिन अभी तक पटवारखाना अपनी दयनीय हालत बयां कर रहा है। पटवारी का यहां रहना बहुत ही जरूरी है। जब भवन ही असुरक्षित है तो फिर इसके अंदर कौन रहेगा।


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prashant sharma

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