Sirmour: उत्तराखंड के दसऊ मंदिर से गिरिपार क्षेत्र के लिए रवाना हुए श्री चालदा महासू महाराज

punjabkesari.in Monday, Dec 08, 2025 - 08:52 PM (IST)

इतिहास में पहली बार हिमाचल प्रदेश आ रहे हैं देवता
पांवटा साहिब (कपिल शर्मा):
उत्तराखंड के जौनसार-बावर के गांव दसऊ मंदिर में ढाई साल प्रवास के बाद श्री चालदा महासू महाराज जी की पवित्र बरवांश यात्रा सोमवार 8 दिसम्बर को प्रारंभ हो गई। यात्रा आरंभ होने पर मंदिर परिसर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां से चालदा महासू महाराज जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के लिए रवाना हुए हैं। बता दें कि इतिहास में पहली बार चालदा महासू महाराज जी हिमाचल प्रदेश में पहुंचेंगे। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, एसडीएम शिलाई जसपाल सिंह और शिलाई क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने दसऊ पहुंच कर देवता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और परंपरा के अनुरूप देवता के प्रस्थान की सभी औपचारिकताएं पूरी कीं।

इससे पूर्व दसऊ पहुंचने पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन व चालदा महासू महाराज के शांठीबिल के वजीर दीवान सिंह राणा का फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। वजीर देवता के संदेश, आदेश और आशीष को जनता तक पहुंचने के साथ-साथ पंचायतों, सामाजिक मामलों और विवादों में भी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। दसऊ में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ के कारण गांव में करीब एक किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा। नम आंखों से लोगों ने देवता की पालकी को भावपूर्ण विदाई दी। इस मौके पर उद्योग मंत्री के साथ शिलाई से अध्यक्ष मार्कीटिंग कमेटी सीता राम शर्मा, अधिशासी अभियंता जल शक्ति प्रदीप चौहान, ओएसडी अतर राणा, बारू राम डिमेदार, महासू महाराज भंडारी रघुवीर सिंह, वजीर दिनेश प्रकाश, प्रधान मदन शर्मा सहित शिलाई क्षेत्र के विभिन्न गांवों के सदस्य हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए।

पहली बार सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में करेंगे प्रवास
देव परंपरा के अनुसार बागड़ी की पूजा-अर्चना के उपरांत 14 दिसम्बर को चालदा महासू महाराज पहली बार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला स्थित गिरिपार क्षेत्र के पश्मी गांव में विराजमान होंगे। यह ऐतिहासिक आगमन माना जा रहा है। देवता के स्वागत को लेकर क्षेत्र में व्यापक तैयारियां चल रही हैं। 13 दिसम्बर को हिमाचल और उत्तराखंड की अंतर्राज्यीय सीमा मीनस पुल पर भव्य स्वागत के लिए उत्तराखंड की देवधार खत के 35 गांव और शिलाई विधानसभा क्षेत्र के लगभग 52 गांव ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वेश-भूषा के साथ एकत्रित होंगे। इस दौरान देवता की बरवांश यात्रा की अगुवाई देवता के कारिंदे, भंडारी और वजीर करेंगे। बरवांश पूजा के उपरांत देवता पहली बार टौंस नदी के दूसरे छोर बसे पश्मी गांव में आगामी एक वर्ष तक विराजमान रहेंगे, जिसके लिए पूरे गिरिपार क्षेत्र में उत्साह और धार्मिक उल्लास का माहौल है।

हिमाचल के लिए बड़े सौभाग्य की बात : हर्षवर्धन
इस मौके पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र शिलाई व गांव पश्मी वालों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि उत्तराखंड से चालदा महाराज का आगमन क्षेत्र में हो रहा है। चालदा महाराज पहली बार हिमाचल में प्रवेश करेंगे और एक वर्ष तक पश्मी में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल व साथ लगते क्षेत्रों में श्री चालदा महासू महाराज के प्रति अटूट आस्था है और हिमाचल के लोगों का यह सौभाग्य है कि श्री चालदा महासू महाराज का आशीर्वाद हिमाचल के लोगों को प्राप्त होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि देवता 13 दिसम्बर सायं को मीनस से होकर हिमाचल में प्रवेश करेंगे। रात्रि ठहराव द्राबिल में किया जाएगा। 14 दिसम्बर को दोपहर बाद चालदा महाराज पश्मी के लिए रवाना होंगे।

यात्रा को सुगम बनाने के लिए पुख्ता बंदोबस्त
उद्योग मंत्री ने कहा कि यात्रा के सफल आयोजन के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया है और सभी विभाग और स्थानीय लोगों के संयुक्त तत्वावधान से महासू महाराज का भव्य स्वागत किया जाएगा। श्री चालदा महासू महाराज की दिव्य प्रवास यात्रा को भव्य एवं यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं।

100 से अधिक पुलिस जवान तैनात
कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा पूरी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 100 से अधिक पुलिस जवान व गृहरक्षक तैनात किए गए हैं। स्वास्थ्य की जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था रहेगी। उद्योग मंत्री ने बताया कि सुचारू यातायात व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वह विनम्रता, शांति, स्नेह व आस्था के साथ महासू महाराज का स्वागत करें।

कौन है श्री चालदा महासू महाराज?
पश्मी मंदिर समिति के सदस्य नितिन चौहान बताते हैं कि चालदा महासू महाराज भगवान शिव के ही रूप हैं और महासू देवता (जो चार भाइयों का समूह है) में से एक हैं, जो उत्तराखंड और हिमाचल के जौनसार-बावर क्षेत्र के न्याय और लोक कल्याण के चलते-फिरते देवता हैं। इनकी मुख्य मान्यता यह है कि ये पूरे क्षेत्र में भ्रमण करते हैं। लोगों की समस्याएं सुनते हैं। न्याय दिलाते हैं और अपराधियों को दंडित करते हैं, जिसके कारण लोग न्यायालय जाने की बजाय इनके दरबार में जाते हैं।

लिहाजा इन्हें न्याय के देवता के रूप में भी माना जाता है। बताते हैं कि उत्तराखंड के जौनसार-बावर और हिमाचल प्रदेश के शिमला, सिरमौर, सोलन जैसे क्षेत्रों में इनकी गहरी आस्था है, जहां इन्हें 'महाशिव छत्रधारी' के रूप में भी पूजा जाता है। बताते हैं कि 12 वर्ष तक पाशी बील क्षेत्र में भ्रमण करते हैं इनको आगामी प्रस्थान के लिए जहां जाना होता है, वहां पर पहले इनका देव चिन्ह पहुंचता है, जिसके बाद देवता उस स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं।


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Content Writer

Kuldeep

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