हिमाचल में शिक्षा विभाग के इस कारनामे से मचा हाहाकार
punjabkesari.in Friday, May 05, 2017 - 01:23 AM (IST)

धर्मशाला: हिमाचल सरकार के शिक्षा महकमे ने एक ऐसा कारनामा कर दिया है, जिससे पूरे प्रदेश में हाहाकार मच गया है। शिक्षा विभाग ने अचानक पुराने जे.बी.टी. सिलेबस को उस वक्त बदल दिया, जब पुराने सिलेबस के मुताबिक इसी मई माह में वार्षिक परीक्षाएं होनी थीं। हैरानी की बात यह भी है कि बोर्ड ने वार्षिक परीक्षाओं को आयोजित करवाने के लिए पुराने पढ़ाए गए सिलेबस के मुताबिक मई माह में होने वाली परीक्षाओं के लिए पेपर भी सैट कर लिए थे, मगर अब विभाग ने ये आदेश जारी कर दिए हैं कि अगले 2 महीनों में इस नए सिलेबस को पढ़ाया जाए और परीक्षाएं अगस्त माह में ली जाएं। हैरानी की बात यह है कि शिक्षा महकमे की अफसरशाही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के उस आदेश को भी ताक पर रखने से नहीं झिझकी, जिसमें उन्होंने कई बार कई मंचों से ऐलान किया था कि प्राथमिक शिक्षा में बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रशिक्षुओं के विशेष अनुरोध पर बदला सिलेबस
इस बाबत जब शिक्षा विभाग के अफसरों से बात की गई तो ऐसे-ऐसे जवाब सामने आए जो लाजवाब थे। अधिकारियों का कहना है कि यह सब मौजूदा प्रशिक्षुओं के विशेष अनुरोध पर हुआ है। प्रशिक्षु खुद सरकार के पास अनुरोध लेकर गए थे कि उनको नए सिलेबस के तहत पढ़ाई करनी है और परीक्षाएं भी नए सिलेबस के मुताबिक देनी हैं तथा इन्हीं के अनुरोध पर अंतिम पलों में सिलेबस बदलने का फैसला लागू किया गया है। हालांकि अधिकारी इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पाए कि यह सब कब हुआ और कौन-कौन से छात्र यह अनुरोध लेकर अफसरशाही से मिले थे? अधिकारियों की मानें तो सरकार की तरफ से यह आदेश हासिल हुए थे कि वार्षिक परीक्षाएं 2 माह के लिए स्थगित कर दी जाएं और नए सिलेबस के मुताबिक पेपर सैट किए जाएं। खास बात यह भी है कि मौजूदा सत्र पहले ही लेट शुरू हुआ था।
छात्र बोले-हमें बर्बाद कर दिया
इस बाबत डिप्लोमा कर रहे छात्र-छात्राओं ने बताया कि उनसे ऐसी कोई लिखित सहमति नहीं ली गई थी, जिसमें वे अपना पक्ष रख सकते। अफसरशाही किस आग्रह की बात कर रही है, यह भी उन्हें पता नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर विद्याॢथयों ने यह भी सवाल उठाया कि सी.एम. के तहत काम करने वाले शिक्षा महकमे के इस फैसले ने खुद के बेलगाम होने की पुष्टि भी इस फैसले से कर दी है।
बाजार में किताबें भी उपलब्ध नहीं
जिस नए सिलेबस को लागू किया गया है, उससे जुड़ी किताबें भी बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। यह सिर्फ ऑनलाइन ही देखने को मिल रही हैं। सवाल उठता है कि जब किताबें ही छात्रों को हासिल नहीं हैं तो वे पढ़ेंगे कैसे? यह सवाल तो शिक्षा विभाग के शिक्षित अफसरों के दिमाग में आया ही नहीं होगा कि जिस सिलेबस को पूरा पढ़ाने के लिए एक साल लगता है, वह 2 महीनों में कैसे पूरा होगा? जाहिर सी बात है कि जब सी.एम. के दावों की धज्जियां यह अफसरशाही उड़ा सकती है तो छात्र और बच्चों की क्या बिसात है।