हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, गर्भवती महिला को अग्रिम जमानत पर रिहा करने के आदेश

Saturday, Jul 24, 2021 - 11:43 PM (IST)

शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी में षड्यंत्र रचने के आरोपों का सामना करने वाली 7 माह की गर्भवती महिला को अग्रिम जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए। न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा ने अग्रिम जमानत याचिका स्वीकारते हुए कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी दंडनीय अपराध है परंतु एक गर्भवती महिला का अपराधी होना अजन्मे बच्चे के लिए पूरी उम्र घातक साबित हो सकता है, यदि उसका जन्म जेल में हो। जेल में जन्म लेने पर बच्चे को तब मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है, जब उसके जन्म की बात उठेगी। ऐसा आघात उसे सामाजिक जीवन जीने नहीं देगा। अपराध में संलिप्त या आरोपित गर्भवती महिलाओं को भी जेल में पौष्टिक आहार तो मिल सकता है परंतु मानसिक तनाव से मुक्ति नहीं। पौष्टिक आहार अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की जगह नहीं ले सकता।

चारदीवारी में बंद रहने से गर्भवती महिला को मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। जेल में जन्म देना मां को गहरा आघात पहुंचा सकता है। कोर्ट ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की सजा को यदि बच्चे के जन्म से पहले व उसके बाद लगभग एक साल तक के लिए टालने से समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ जाएगा। गर्भवती महिलाओं की जेल की सजा टालने से आसमान नहीं टूट पड़ेगा। गर्भावस्था काल, डिलीवरी टाइम व जन्म देने से कम से कम एक साल तक महिला को तनावमुक्त वातावरण की जरूरत होती है। हर महिला का मातृत्व काल में गरिमा पूर्ण जीवन जीने का हक है। गर्भवती महिलाओं को जेल नहीं बेल की जरूरत है। अदालतों को गर्भवती महिलाओं की मातृत्व समय में उनकी पावन स्वतंत्रता बहाल करनी चाहिए। अपराध कितना भी बड़ा हो उन्हें कम से कम ऐसे समय में अस्थायी बेल तो दी ही जानी चाहिए।

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Vijay