मॉनसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष का जमकर हंगामा, सदन से वाकआउट

Wednesday, Sep 09, 2020 - 03:54 PM (IST)

शिमला (योगराज) : विधानसभा मॉनसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को नियम 67 स्थगन प्रस्ताव की चर्चा पर जबाब देने के लिए इजाजत दी। लेकिन विपक्ष फिर कल वाली चार सदस्यों को बोलने की मांग पर अड़ गया। यहां तक कि विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जब अधिकतर सदस्य बोल चुके है तो फिर विपक्ष को अड़ रहा है। 

इस पर भी विपक्ष अपने 4 सदस्यों को बोलने का मौका देने पर अड़ा रहा। इस बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पहले मंगलवार 3 बजे तक चर्चा तय हुई थी। उसके बाद 5 बजे तक सदन को बढ़ाया गया। अब विपक्ष क्यों शोर शराबा कर रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी यही कहा कि विपक्ष की सहमति से ही चर्चा का समय तय हुआ। सदन में विपक्ष की हर बात को माना, 6 घण्टे से ज्यादा दो दिन तक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है। अब मुख्यमंत्री चर्चा का जबाब देंगे। 

इस पर भी विपक्ष नहीं माना और सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष ने मांग उठाई की विपक्ष के 4 सदस्यों को 5-5 मिनट बोलने का मौका दिया जाए। विपक्ष ने नारा लगाया कि “लोकतंत्र की हत्या बन्द करो, चर्चा का प्रबंध करो“। विपक्ष की नारेबाज़ी के बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने मुख्यमंत्री को चर्चा का जबाब देने की इजाजत दे दी। मुख्यमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए तो नाराज़ विपक्ष के सभी सदस्य स्पीकर की वेल में आकर नारेबाजी करने लगें। सत्ता की तरफ से मुख्यमंत्री बोलते रहे जबकि विपक्ष की नारेबाजी जारी रही। यहां तक विपक्ष के सदस्यों वेल में बैठकर नारेबाजी करने लगे। सदस्य पीपीई किट घोटाले, सरकार की तानाशाही, हो गया जयराम तेरा काम कुर्सी छोड़ो करो आराम, कोरोना काल में घपले जैसे नारेबाजी लगाते रहे। मुख्यमंत्री डेढ़ घण्टे बोलते रहे विपक्ष वेल में नारेबाजी करता रहा मुख्यमंत्री ने अपना जवाब पूरा किया व विपक्ष को प्रस्ताव वापिस लेने की बात की इसी नाराजगी में विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया। 

विपक्ष के रवैये से नाखुश मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार नियम 67 के तहत कोरोना को लेकर चर्चा दी। विपक्ष से उम्मीद थी कि उनकी तरफ से कोई सुझाव आएगा लेकिन दुर्भाग्य है विपक्ष के पास कोई मुद्दा नही है कांग्रेस नेतृत्वहीन है इसलिए बेवजह हुहल्ला किया है। विपक्ष को सदन में बोलने का पूरा मौका दिया गया। अढ़ाई दिन तक स्थगन प्रस्ताव की चर्चा में विपक्ष के 13 सदस्यों ने भाग लिया। बावजूद इसके विपक्ष खुश नहीं था ओर सदन में हल्ला कर वाकआउट कर दिया। ये परंपरा सही नहीं है। विपक्ष में सभी नेता बनने की होड़ में लगे है एक दूसरे की बात कोई सुनना नहीं चाहता है। कोरोना काल में कांग्रेस अपनी ही पार्टी को चुना लगाने में लगे रहे । 12 करोड़ का बिल पार्टी हाई कमान को भेज दिया और कहा कि पीपीई किट और राशन वितरण किया लेकिन हकीकत में एक पैसे की मदद भी कांग्रेस ने कोरोन काल में लोगों की नहीं की और सरकार को कोसने का काम कर रहे हैं।
 

prashant sharma