अब एक क्लिक पर होंगे त्रिलोकीनाथ मंदिर के ऑनलाइन दर्शन, मंदिर प्रबंधन ने लाॅन्च की वैबसाइट

punjabkesari.in Sunday, Sep 05, 2021 - 04:53 PM (IST)

काजा (ब्यूरो): अब दुनिया के किसी भी कोने से बैठकर लाहौल-स्पीति जिला में ऐतिहासिक त्रिलोकीनाथ मंदिर के दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे। त्रिलोकीनाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी ने मंदिर की वैबसाइट लाॅन्च कर दी है। इस वैबसाइट में मंदिर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध है। इसके साथ ही इसी वैबसाइट के माध्यम से श्रद्धालु मंदिर में दान भी ऑनलाइन दें सकेंगे, आगामी कुछ दिनों के भीतर यह सुविधा शुरू हो जाएगी इससे सम्बंधित कार्य अंतिम चरण में है। यही नहीं अब मंदिर में होने वाली हर पूजा-अर्चना को ऑनलाइन फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल पर दिखाया जाएगा ताकि श्रद्धालु घर बैठे ऑनलाइन दर्शन कर सकें। डीसी नीरज कुमार ने बताया कि मंदिर की वैबसाइट लांच कर दी है।

ऐसे कर सकेंगे दान

आपको त्रिलोकीनाथ मंदिर की वैबसाइट पर जाना होगा। इसी में पे नाओ का ऑप्शन आएगा जहां पर आपको क्लिक करना होगा। इसके बाद फोन पे, गूगल पे और पेटीएम का ऑप्शन आएगा। आप इन तीनों ऑप्शन में से किसी भी ऑप्शन का इस्तेमाल करके धन राशि दान कर सकते हैं।

हिन्दू व बौद्ध धर्म के लोग एक साथ करते हैं मंदिर में पूजा

लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रभागा नदी के बाएं छोर पर उदयपुर के सामने त्रिलोकीनाथ मंदिर है। उदयपुर कई चीजों के लिए अलग और मशहूर है। साल में लगभग 6 महीने बर्फ से ढके रहने वाली इस जगह पर माइनस 25 डिग्री सैल्सियस तक तापमान चला जाता है। समुद्र तल से 2742 मीटर की ऊंचाई पर बसा उदयपुर छोटी सी आबादी वाला यह इलाका त्रिलोकीनाथ मंदिर के लिए भी मशहूर है। यह मंदिर भी बेहद खास है। इस मंदिर में हिन्दू भी पूजा करते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी। दुनिया में शायद यह इकलौता मंदिर है, जहां एक ही मूॢत की पूजा दोनों धर्मों के लोग एक साथ करते हैं।

अगस्त माह में त्रिलोकीनाथ के दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु

अगस्त के महीने में त्रिलोकीनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, क्योंकि इस महीने में 3 दिवसीय पौरी मेला आयोजित होता है, जिसमें हिन्दू और बौद्ध दोनों बड़े उत्साह के साथ शामिल होते हैं। इस पवित्र उत्सव के दौरान सुबह-सुबह भगवान को दही और दूध से नहलाया जाता है और लोग बड़ी संख्या में मंदिर के आसपास इकट्ठा होते हैं वहीं ढोल-नगाड़े बजाए जाते हैं। इस त्यौहार में मंदिर के अन्य अनुष्ठानों का पालन भी किया जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार भगवान शिव इस दिन घोड़े पर बैठकर गांव आते हैं। इसी वजह से इस उत्सव के दौरान एक घोड़े को मंदिर के चारों ओर ले जाया जाता है और एक भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Related News