हिमाचल का कोई भी MP खर्च नहीं कर पाया 25 करोड़ की सांसद निधि

Saturday, Dec 29, 2018 - 11:09 PM (IST)

शिमला: देश के 508 लोकसभा सांसदों सहित हिमाचल के भी चारों एम.पी. पूरी सांसद निधि को खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। भारतीय सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार एम.पी. द्वारा सांसद निधि को खर्च करने की राष्ट्रीय औसत दर 88.34 फीसदी है जबकि हिमाचल में यह दर 87.34 फीसदी है। इन 5 सालों में प्रत्येक सदस्य को सांसद निधि से 25 करोड़ रुपए की रकम विभिन्न विकास कार्यों के लिए दी गई है लेकिन प्रदेश का कोई भी एम.पी. पूरी राशि को अब तक खर्च नहीं कर पाया है। सांसद निधि पर सिस्टम की सरकारी सुस्ती भारी पड़ रही है। चुनावी साल को देखते हुए केंद्र ने सांसद निधि का पैसा खर्च करके विकास कार्य में गति लाने केनिर्देश दिए हैं।

हमीरपुर और कांगड़ा की 2-2 इंस्टालमैंट पैंडिंग

हिमाचल के हमीरपुर और कांगड़ा निर्वाचन क्षेत्र की सांसद निधि से हुए काम का यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट (यू.सी.), ऑडिट सर्टीफिकेट (ए.सी.) तथा एम.पी.आर. न मिलने की वजह से केंद्र के पास इन दोनों चुनाव क्षेत्रों की 2-2 इंस्टालमैंट पैंडिंग हैं। सोलन और मंडी की भी केंद्र के पास अभी 1 किस्त लंबित है। बता दें कि प्रत्येक एम.पी. को सांसद निधि के तहत हर साल 5-5 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। सांसद निधि का पैसा जिला प्रशासन के माध्यम से एम.पी. विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च करते हैं।

देश के 35 एम.पी. ही खर्च कर पाए पूरी सांसद निधि

भारतीय सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 16वीं लोकसभा के 543 एम.पी. में से केवल 35 सांसद ही 25 करोड़ रुपए की राशि को खर्च कर पाए हैं। भारतीय सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट केअनुसार देशभर में 508 एम.पी. भी सांसद निधि को खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार सांसद निधि का बजट मंजूर करने के पैट्रन में बदलाव करने जा रही है।

फोरैस्ट क्लीयरैंस के कारण लटके कुछ प्रोजैक्ट

16वीं लोकसभा का गठन साल 2014 में किया गया था। अब इनका 5 साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस तरह 5 साल में प्रत्येक एम.पी. की 25-25 करोड़ की सांसद निधि मिलाकर हिमाचल प्रदेश को कुल मिलाकर 100 करोड़ है लेकिन यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट और ऑडिट सर्टीफिकेट में देरी के कारण प्रदेश को 29 दिसम्बर, 2018 तक 95 करोड़ ही मिल पाए हैंं। इसमें से भी 83.83 फीसदी बजट ही खर्च हो पाया है। डिस्ट्रिक अटॉर्नी के पास इस वक्त 18.60 करोड़ रुपए की राशि अनस्पैंड (खर्च नहीं) पड़ी है। इसी तरह पुराने कामों के यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट देने और ऑडिट करने के बाद केंद्र सरकार शेष बची हुई 5 करोड़ रुपए की राशि जारी करेगी। दावा किया जा रहा है कि कुछ प्रोजैक्ट फोरैस्ट क्लीयरैंस के कारण भी लटके हुए हैं।

Vijay