Kangra: 500 वर्ष पुराने बरगद के पेड़ काे क्षति पहुंचाने पर NGT ने लिया संज्ञान, पंचायत और वन विभाग को नोटिस जारी
punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 04:40 PM (IST)
सिद्धपुर घाड़/कांगड़ा (ब्यूराे): सिद्धपुर घाड़ स्कूल के ठीक सामने स्थित लगभग 500 वर्ष पुराने बरगद के पेड़ को निर्माण कार्य के दौरान नुक्सान पहुंचाने का मामला अब दिल्ली स्थित नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दहलीज तक पहुंच गया है। टियाला निर्माण के दौरान इस पेड़ की जड़ों को कथित तौर पर क्षति पहुंचाने के आरोपों के बाद एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है।
जानकारी के अनुसार सिद्धपुर घाड़ में स्कूल गेट के पास एक टियाला का निर्माण कार्य चल रहा था। आरोप है कि इस दौरान वहां मौजूद सदियों पुराने बरगद के पेड़ की जड़ों के साथ छेड़छाड़ की गई और खुदाई के दौरान उन्हें नुक्सान पहुंचाया गया। इसे लेकर पूर्व प्रधान परमजीत मनकोटिया ने इसे प्राकृतिक धरोहर के साथ खिलवाड़ बताते हुए एनजीटी में याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ता परमजीत मनकोटिया ने अपनी शिकायत में पंचायत प्रतिनिधियों, निर्माण कमेटी के सदस्यों और वन विभाग के अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी की गई और बिना संवेदनशीलता के कार्य किया गया, जिससे इस ऐतिहासिक धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है। ट्रिब्यूनल ने संबंधित अधिकारियों, पंचायत प्रधान और सचिव को सख्त नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे वृक्ष केवल वनस्पति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व के प्रतीक हैं, जिनका संरक्षण अनिवार्य है।

वहीं सिद्धपुर व आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग इस पेड़ को केवल वनस्पति नहीं, बल्कि अपनी जीवित विरासत मानते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह बरगद कई पीढ़ियों का साक्षी रहा है और क्षेत्र की संस्कृति का अभिन्न अंग है। स्थानीय समाजसेवियों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस कानूनी लड़ाई को हिमाचल प्रदेश में विरासत संरक्षण की दिशा में एक बड़ी परीक्षा करार दिया है। अब सभी की निगाहें एनजीटी की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं।

