CPRI ने ईजाद की कैंसर से लड़ने की क्षमता वाले आलू की नई किस्म

Friday, Oct 04, 2019 - 09:45 PM (IST)

शिमला: कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने की क्षमता रखने वाला आलू जल्द तैयार होगा! केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिक वर्ष 2015 से ‘कुफरी नीलकंठ’ किस्म के आलू बीज को तैयार करने में जुटे हुए हैं। यह आलू औषधीय गुणों से भरपूर बताया जा रहा है। टैस्ट के दौरान कुफरी नीलकंड में एंटी ऑक्सीडैंट एंथोसाइनिंन पिग्मेंट की मौजदूगी पाई गई है। इस वजह से यह शरीर में फ्री रेडिकल्स (अत्याधिक प्रतिक्रियाशील अणु) को नियंत्रित करने में मदद करेगा। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। एक और खासियत यह है कि कुफरी नीलकंठ लाल व सफेद रंग के आलू जैसा नहीं होगा बल्कि हल्के बैंगनी रंग का होगा। इसका गुद्दा क्रीमी सफेद रंग का होगा।

कुफरी नीलकंठ में नहीं लगेगा पछेती झुलसा रोग

इसी तरह देशभर में आलू किसानों को सबसे ज्यादा नुक्सान झुलसा रोग के कारण उठाना पड़ता है। दावा किया जा रहा है किकुफरी नीलकंठ में पछेती झुलसा रोग नहीं लगेगा। हालांकि इस किस्म के बीज को बाजार में आने में अभी वक्त लगेगा। इन दिनों कुफरी नीलकंठ किस्म पर प्रयोग चल रहे हैं। यही वजह है कि सीपीआरआई शिमला अभी इस किस्म का ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं कर रहा है। अब तक के टैस्ट में यह सफल बताया जा रहा है।

ऊना सहित मैदानी राज्यों के लिए उपयुक्त है कुफरी नीलकंठ

वैज्ञानिकों की मानें तो कुफरी नीलकंठ किस्म का आलू हिमाचल के ऊना जिला सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगड़ राज्य के लिए बेहतर विकल्प है। इसकी पैदावार भी 400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से ज्यादा बताई जा रही है जबकि दूसरी किस्मों में लगभग 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन होता है। इसकी बुआई का उचित समय 15 अक्तूबर से 5 नवम्बर के बीच बताया जा रहा है।

कुफरी नीलकंठ पर चल रहा अनुसंधान

सीपीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एनके पांडे ने बताया कि सीपीआरआई कुफरी नीलकंठ पर आलू के बीज पर अनुसंधान कर रहा है। इसमें कैंसर से लडऩे की क्षमता रखना वाले जींस पाए गए हैं लेकिन अभी इस सीड का ज्यादा प्रचार नहीं किया जा रहा है। इस पर अनुसंधान चला हुआ है। इसका बीज बाजार में आने में अभी कुछ वक्त लगेगा।

Vijay