नलवाड़ी मेले की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में गायक कैलाश खेर के गानों पर झूमे दर्शक
punjabkesari.in Thursday, Mar 21, 2024 - 11:40 PM (IST)
बिलासपुर (राम सिंह): राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में बॉलीवुड प्ले बैक सिंगर कैलाश खेर ने कैलाशा बैंड के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने का पूरा प्रयास किया जबकि प्रदेश के स्टार कलाकारों में गौरव कौंडल, श्रुति शर्मा व अभिषेक सोनी ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। दूसरी सांस्कृतिक संध्या में चीफ सैक्रेटरी प्रबोध सक्सेना ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर संध्या का आगाज किया। डीसी आबिद हुसैन सादिक ने मुख्यातिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गायक कैलाश खेर ने तेरी दिवानी, सैय्यां, बम्म लहरी, दौलत शौहरत, जय-जयकारा आदि गीत प्रस्तुत किए। वॉइस ऑफ पंजाब गौरव कौंडल ने दिल दियां गल्लां, टिच बटणां दी जोड़ी, चल मेले नू चलिए, शरारा व दिल चोरी साडा हो गया, गायिका श्रुति शर्मा ने जुगनी, तुम्हें दिल लगी, नीत खैर मंगा, आजा वे माही, प्यार करने वाले और हिमाचली गायक अभिषेक सोनी ने शिव कैलाशों के वासी, लुहणू रे मैदाना, नलवाड़िया रे मेले, काला घगरा सलाई के व खाणा-पीणा नंद लैणी आदि गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया।
सांस्कृतिक संध्या में इन्होंने भी दी प्रस्तुतियां
सांस्कृतिक संध्या में गुलशन, रजत, अनन्या, किशोर, कर्ण आर्य, ऋषभ सलोत्रा, शिवांगी, संदीप, सुनील, मालिनी, रूप लाल, वर्षा, एसआर सहगल, खेमराज, शिवानी, हरदेव, किशोर, निर्मला देवी व भगवान दास ने भी अपनी प्रस्तुति दी। इस दौरान मंच संचालन शिवा खान, जावेद इकबाल और अक्षय शर्मा ने किया। वहीं दूसरी सांस्कृतिक संध्या में लेजर शो भी दिखाया गया। राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में इस बार प्रदेश के सुप्रसिद्ध हेमंत बैंड प्रदेश के सभी कलाकारों के साथ संगत कर रहा है, जिसमें बैंड के प्रभारी हेमंत कुमार के नेतृत्व में अरविंद प्रिंस, साहिल (चिंटू), परमानंद, सैम, वरुण, अमित गंगेश्वर, विशाल व अमन आदि टीम में शामिल हैं। यह बैंड प्रदेश के सभी राज्य, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दे चुका है।
दर्शक बोले-ढोल-ढमाके की धमाल के आगे दब रहे थे सुर
उधर कुछ दर्शकों का कहना था कि इस सांस्कृतिक संध्या में साज-बाज व ढोल-ढमाके की धमाल इतनी अधिक अथवा कानफोड़ू थी कि उसके आगे सुरों व गानों के बोल पूरी तरह से दब रहे थे। कुछ का कहना था कि आज की सांस्कृतिक संध्या पर बाहर के कलाकारों पर लाखों रुपए व्यय किए जा रहे हैं जबकि स्थानीय सर्वोत्तम कलाकारों व प्रदेश की संस्कृति व इसके इतिहास को संजोने वालों को कुछ हजार रुपए देकर उनकी प्रतिभा से भद्दा मजाक किया जाता है।
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