मॉक वोट डिलीट न करना पड़ा महंगा, दो पीठासीन और तीन पोलिंग ऑफिसर Suspend

Saturday, Jun 15, 2019 - 10:49 AM (IST)

शिमला (हेटा): लोकसभा चुनाव के दौरान मॉक वोट डिलीट न करने वाले 5 अधिकारियों व कर्मचारियों पर अब जाकर निलंबन की गाज गिरी है। चुनाव विभाग ने वीरवार को 2 पीठासीन अधिकारी तथा 3 पोलिंग ऑफिसर सस्पैंड किए हैं। निलंबित कर्मियों पर यह कार्रवाई उनके नोटिस का जवाब मिलने के बाद की गई है। चुनाव विभाग ने ठियोग के बंशीरा मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी तथा सिरमौर के भुटनपुरा मतदान केंद्र की पूरी पोलिंग पार्टी को सस्पैंड किया है। बंशीरा मतदान केंद्र के 3 पोलिंग अफसरों पर अभी भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इन्हें चुनाव विभाग ने शो कॉज नोटिस दे रखा है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद इन पर भी कार्रवाई संभव है। इसी के साथ चुनाव विभाग ने निलंबित अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ संबंधित विभागों को चार्जशीट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। 

इस मामले में जिलाधीश शिमला और जिलाधीश सिरमौर पहले ही अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं। इस रिपोर्ट को कार्रवाई का आधार बनाया गया है। इन दोनों मतदान केंद्रों की पोलिंग पार्टियों पर मॉक वोट डिलीट किए बगैर वोटिंग शुरू करवाने तथा यह गलती छुपाकर चुनाव आयोग की आंखों में धूल झोंकने का आरोप है। इनकी यह लापरवाही 23 मई को मतगणना के दौरान सामने आई, जब वोटों की गिनती की गई तो ई.वी.एम. में पड़े वोट वी.वी.पी.ए.टी. से ज्यादा निकले क्योंकि दोनों पोलिंग पार्टियों ने मतगणना के दौरान जब उन्हें ध्यान आया तो कुछेक मॉक वोट डिलीट कर दिए थे। इससे पहले चुनाव विभाग मॉक वोट डिलीट न करने के मामले में 5 पीठासीन अधिकारियों सहित 20 पोलिंग अफसरों को सस्पैंड कर चुका है।

क्या होता है मॉक वोट?

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदान प्रक्रिया शुरू होने से पहले 50-50 मॉक वोट सभी पार्टियों व आजाद प्रत्याशियों को उनकी या एजैंटों की मौजूदगी में डलवाए जाते हैं। मॉक वोट में यह देखा जाता है कि मतदाता जो वोट दे रहा है, क्या वह उसी व्यक्ति को गया जिसे वह वोट देना चाहता है। ऐसे में वास्तविक पोलिंग शुरू होने से पहले ऐसे सभी मॉक वोट डिलीट करने होते हैं।
 

Ekta