मानसिक रोगी पत्नी, बेटा दिव्यांग, एक कमरे में पूरा परिवार और उसी में दुकान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2019 - 01:36 PM (IST)

नंगल जरियालां (दीपक जरियाल): आज के आधुनिक दौर में एक परिवार ऐसा भी है जो तकलीफों और दुखों से लबरेज जीवन जीने को मजबूर है। इस परिवार के पास न तो घर है और न ही शौचालय। एक 8 बाई 12 की दुकान में रहने वाला परिवार सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करने को मजबूर है। जहां परिवार का मुखिया चाय की रेहड़ी लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा है। उसकी पत्नी मानसिक रोगी है जबकि बेटा दिव्यांग है जोकि न तो बोल सकता है और न सुन सकता है। इस परिवार का पुश्तैनी मकान भी गिर चुका है जिसको दोबारा बना पाना मुश्किल है। नंगल जरियालां में रहने वाले इस परिवार का मुखिया महेन्द्रपाल अपनी पत्नी मीना, बेटे अजय और बेटी निधि के साथ नंगल जरियालां की एक दुकान में रह रहा है। यूं तो बी.पी.एल. सूचि में महेन्द्रपाल का नाम शुमार है और पंचायत द्वारा मकान के लिए आर्थिक मदद की प्रोसेसिंग शुरू है लेकिन अभी तक उसको कोई राशि नहीं मिल पाई है। 
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दुकान में आते हैं सिर्फ 2 ही बिस्तर

नंगल जरियालां के वार्ड नंबर 9 से संबंधित महेन्द्र पाल करीब 2 वर्ष पहले ही नंगल जरियालां में पुश्तैनी मकान में रहता था और उसके क्षतिग्रस्त होने के चलते वह दुकान में शिफ्ट हो गया। वह स्वयं तो अपने परिवार के साथ दुकान में रहने लगा लेकिन उसकी वृद्ध मां अभी भी क्षतिग्रस्त पुश्तैनी मकान में रह रही है। महेन्द्र सिंह मां को दुकान में अपने साथ रखने में लाचार है क्योंकि इस दुकान में केवल 2 ही मंजे(बिस्तर) लग सकते हैं जिन पर परिवार के चारों सदस्य ही एडजस्ट हो सकते हैं। ऐसे में महेंद्र अपनी मां को अपने साथ नहीं रख पा रहा है।
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परिवार की स्थिति खराब

महेंद्र पाल की पत्नी मीना कुमारी की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है और महेंद्र पाल के एक बेटा और एक बेटी है। महेंद्र पाल का बेटा अजय जन्म से ही न तो सुन सकता है और न ही बोल सकता है। महेंद्र पाल ने रूंध गले से बताया कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति कुछ ठीक थी लेकिन वह अपने बेटे अजय के इलाज के लिए से लेकर दिल्ली तक भटका और लाखों रुपए खर्च किए और उस पर काफी कर्ज भी हो गया लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। अजय 8वीं कक्षा का छात्र है जबकि निधि 10वीं कक्षा की छात्रा है। अजय यूं तो दिव्यांग है लेकिन किसी विशेष स्कूल में नहीं बल्कि सरकारी मिडल स्कूल में पढ़ता है और पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अव्वल रहता है।

खेलकूद प्रतियोगिता में निपुण है दिव्यांग अजय

महेंद्र पाल का बेटा अजय हालांकि न ही सुन सकता है और न ही बोल सकता है, लेकिन खेल प्रतियोगिताओं में हमेशा प्रथम ही आता है। दिव्यांग बच्चों के गगरेट ब्लॉक के अंतर्गत कलोह में हुए जोनल टूर्नामेंट में जहां 200 मीटर रेस और लैमन रेस सहित 5 प्रतियोगिताओं में अजय ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं देहलां में हुईं जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ में भी प्रथम स्थान झटका। अजय अभी गवर्नमेंट मिडिल स्कूल नंगल जरियालां में 8वीं कक्षा में पढ़ रहा है। अजय के अध्यापक भी बताते हैं कि अजय पढऩे में और खेलकूद में बहुत ही चुस्त है।

नहीं मिली किसी से भी मदद

आजकल कई संस्थाएं भी गरीबों की मदद कर रही हैं लेकिन अभी तक महेंद्र पाल व उसके परिवार पर किसी संस्था की भी नजर नहीं पड़ी। महेंद्र पाल ने बताया कि अभी तक पंचायत ने भी उसकी कोई आर्थिक मदद नहीं की है।

महेन्द्र के परिवार की हालत नाजुक: प्रधान

ग्राम पंचायत प्रधान संतोष कुमारी ने बताया कि महेंद्र पाल की आर्थिक स्थिति बहुत ही नाजुक है। ग्राम सभा में महेंद्र पाल का मकान बनाने का प्रस्ताव डाला हुआ है लेकिन अगर उसकी स्वीकृति जल्द आ भी जाती है तो महेंद्र पाल की नंगल जरियालां गांव में जगह न होने के कारण ग्रांट नहीं लगाई जा सकती और इनका पुराना पुश्तैनी मकान भी गिर चुका है। महेंद्र पाल की जगह हरवाल गांव में पड़ती है जोकि गोंदपुर बनेहडा पंचायत में आता है। बी.डी.ओ. गगरेट हेमचंद शर्मा का कहना है कि महेंद्र पाल बीपीएल परिवार से संबंधित है और प्रधानमंत्री आवास योजना में इसका नाम मकान बनाने हेतू डाला हुआ है। दुकान में रहने वाली बात का मीडिया के माध्यम से पता चला है जल्द ही मौके पर जाकर स्थिति को खुद देखकर मकान के लिए स्पेशल स्वीकृति दिलाई जाएगी।


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Ekta

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