पर्यटकों को नहीं पता कितने लोगों की जान लील चुकी हैं उफनती ब्यास व पार्वती नदियां
punjabkesari.in Monday, Jun 13, 2022 - 07:53 PM (IST)

मनाली (मौदगिल): देश-विदेश से सैर-सपाटा करने के लिए कुल्लू-मनाली आने वाले पर्यटकों को नहीं पता कि उफनती ब्यास और पार्वती नदियां कितने लोगों की जान लील चुकी हैं। यहां के नाले भी खूनी हैं और इनमें डूबकर कई लोग काल का ग्रास बन गए। देखने में मोहक ये जल धाराएं पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। निरंतर जल बहाव के कारण नदियों के किनारे के पत्थर फिसलन भरे हो गए होते हैं। पर्यटक व अन्य लोग इन पर संतुलन बनाने के लिए पांव रखते हैं, लेकिन वे वास्तविकता से अनजान होते हैं और फिसल कर नदी में गिर जाते हैं। उसके बाद उफनती नदियों की लहरें उन्हें अपने आगोश में ले लेती हैं।
सौभाग्य से कुछ लोगों को बचा लिया जाता है तो कई लापता हो जाते हैं। कई दिनों के बाद उनके शव बरामद होते हैं। लोगों का कहना है कि नदियों के पास जाने के लिए रास्ते खुले पड़े हैं, वहीं पर्यटकों को आगाह करने के लिए लगाए गए साइन बोर्ड भी गायब हैं। शीतल हवाएं और नदी-नालों का बर्फीला ठंडा पानी पर्यटकों को भयंकर गर्मी से और राहत पहुंचाने वाला महसूस होता है। जल धाराओं की यही खूबी और खूबसूरती अपनी ओर आकॢषत करती है और वास्तविकता से अनजान पर्यटक हादसों का शिकार हो रहे हैं। मनाली में पिछले एक महीने में ही 4 लोगों को नदी में गिरने के बाद रैस्क्यू किया गया। पिछले 6 महीनों में आधा दर्जन लोगों की ब्यास और पार्वती नदी में गिरने से मौत हुई है।
बड़ी संख्या में पहुंच रहे सैलानी
जून के महीने में निचले क्षेत्र भयंकर गर्मी से तप रहे हैं। ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक कुल्लू-मनाली व हिमाचल प्रदेश के अन्य पर्यटकों स्थलों की ओर जा रहे हैं। पर्यटकों की भीड़ इतनी अधिक है कि प्रशासन, पुलिस विभाग और अन्य एजैंसियों के लिए इन्हें मॉनीटर कर पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कई पर्यटक नदी किनारे जा रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोग इन्हें आगाह भी कर रहे हैं लेकिन इन्हें लगता है कि इस जन्नत से बेहतर और कोई सुखदायी जगह हो ही नहीं सकती।
पर्यटकों के लिए नई बात
स्थानीय लोग हालांकि नदियों के खतरे से वाकिफ हैं। पर्यटकों के लिए ये मोहक जल धाराएं नई बात है। सड़क पर भी यदि खड़े हो जाएं तो पास से गुजर रही नदी से उठ रही ठंडी हवाएं सुकून देती हैं। ऐसे में पर्यटकों को लगता है कि नदी से 50 या 100 मीटर दूर जब इतनी शीतल हवाएं चल रही हैं तो पास जाकर तो और सुकून मिलेगा। सुकून पाने की यही चाह अकाल मृत्यु की ओर धकेल रही है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
मनाली निवासी हेमराज, भूषण, केशव राम, ललित कुमार, निशांत व अनिल शर्मा आदि ने कहा कि कई पर्यटकों को वे नदी-नालों की ओर जाने से रोकते हैं। पर्यटकों को लगता है कि स्थानीय लोग झूठ बोलते हैं और नहीं चाहते कि पर्यटक जन्नत का मजा लें। कई तो आगाह करने पर अजीब तरीके से जवाब देते हैं। यही मनमानी बाद में पर्यटकों पर भारी पड़ जाती है।
एस.एस.पी. कुल्लू गुरदेव शर्मा नदी-नालों के किनारे पर्यटकों को आगाह करने के लिए साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं। वन विभाग को भी खतरे वाले ङ्क्षबदुओं पर नदी-नालों की ओर जाने वाले रास्तों को बंद करने के सुझाव दिए हैं। पुलिस की गश्त करने वाली टीमें भी पर्यटकों को आगाह करती रहती हैं। हमारी होटल व अन्य पर्यटन कारोबारियों और आम लोगों से भी अपील है कि वे भी पर्यटकों को नदी-नालों व अन्य खतरे वाली जगहों पर जाने से रोकें।
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