IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने पाई सफलता, जिंक सप्लीमैंट से कम होगी लिवर की चर्बी

Tuesday, Apr 30, 2019 - 10:02 PM (IST)

मंडी: आई.आई.टी. मंडी के शोधकर्ताओं ने जिंक सप्लीमैंट (आहार) से लिवर की चर्बी कम करने के प्रमाण दिए हैं। आई.आई.टी. में कार्यरत असिस्टैंट प्रोफैसर स्कूल ऑफ बेसिक साइंसिज डा. प्रोसेनजीत मोंडल और सी.एस.आई.आर. भारतीय विष विज्ञान शोध संस्थान के डा. देवव्रत घोष ने हाल ही में यह प्रदर्शित किया कि जिंक ऑक्साइड के नैनोपार्टिकल लिवर में चर्बी जमना रोक सकते हैं और मद्यपान न करने वालों में लिवर की चर्बी की बीमारियों (एन.ए.एफ.एल.डी.) की रोकथाम करने में भी सक्षम हो सकते हैं। उनका शोध हाल में एक जर्नल नैनोमैडीसिन नैनोटैक्नोलॉजी, बायोलॉजी एंड मैडीसिन में प्रकाशित किया गया है।

एन.ए.एफ.एल.डी. पैदा करता है शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी

लिवर इंसान के शरीर के अंदर का सबसे बड़ा अंग है। यह पित्त का स्राव करता है और ग्लाइकोजेन के रूप में ग्लूकोज जमा करता है और विटामिन, मिनरल्स और एमीनो एसिड को जैव वैज्ञानिक रूप में अवशोषण योग्य बनाता है। पहले लिवर की बीमारियां मुख्यत: हैपेटाइटिस वायरस के संक्रमण और मद्यपान की वजह से होती थीं पर आज सेडेंट्री लाइफ  स्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से मद्यपान न करने वालों में भी लिवर की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।

चर्बी युक्त आहार पर पले चूहे के शरीर में किया प्रयोग

शोध करने वाली टीम ने कोशिका और चूहा मॉडल का प्रयोग कर प्रदर्शित किया कि जिंक सप्लीमैंट (नैनोपार्टिकल या बतौर नमक) लिवर में चर्बी जमा होने से रोकता है और इसके आसपास इंसुलिन सैंसटिविटी बढ़ाता है। शोधकर्ताओं ने सबसे पहले मनुष्य के हेपैटोसेल्युलर कार्सीनोमा सैल का जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स से उपचार किया और उपचार न किए गए सैल की तुलना में इन सैल में लिपिड जमने का परीक्षण किया। उन्होंने चर्बी युक्त आहार पर पले चूहे के शरीर में नैनोपार्टिकल की सुई लगाई और सैल के संकेत, जीन के एक्सप्रैशन पर नजर रखी और कोशिका की ऊर्जा स्तर का भी आकलन किया।

जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल से रुक गया चर्बी का जमना

इंसुलिन के कार्य के आकलन के लिए चूहे का ग्लूकोज टॉलरैंस टैस्ट भी किया गया और इसकी तुलना सामान्य आहार वाले चूहों और साथ ही ऐसे चूहों से की गई जिनका नैनोपार्टिकल से उपचार नहीं किया गया। कोशिका परीक्षण में शोधकर्ताओं ने देखा कि जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल से उनमें चर्बी का जमना रुक गया। चूहों के मॉडल में देखा गया कि जिंक सप्लीमैंट ने चर्बी युक्त आहार पर पले चूहे के लिवर में चर्बी के जमने को बढ़ाने वाले सैल्युलर फैक्टर की रोकथाम कर दी, ऐसे में देखा गया कि जिंक सप्लीमैंट आहार देकर मोटे किए गए चूहे में ऊर्जा के नैगेटिव बैलेंस और हैपेटाइटिक लाइपोजेनिक नियंत्रण के माध्यम से लिवर में चर्बी की बीमारियों में सुधार कर सकते हैं।

2017 में 2,59,749 लोगों की लिवर की बीमारियों से हो चुकी है मौत

स्कूल ऑफ  बेसिक साइंसिज आई.आई.टी. मंडी के असिस्टैंट प्रोफैसर डॉ. प्रोसेनजीत मोंडल ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट 2017 में भारत में 2,59,749 लोगों के लिवर की बीमारियां से दम तोडऩे का तथ्य सामने आया है। लगभग 120 मिलियन भारतीयों के एन.ए.एफ.एल.डी. पीड़ित होने का अनुमान है। मोटापा और डायबिटीज के मरीजों में यह समस्या अधिक हो सकती है। एन.ए.एफ..एल.डी. शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी पैदा करता है जो लिवर की कोशिकाओं में जमा होती है, जिसे स्टेटोसिस कहते हैं। इससे घाव या सिरॉसिस हो सकता है और अंत में लिवर बेकार हो सकता है। अब जिंक सप्लीमैंट से लिवर की चर्बी कम की जा सकती है।

Vijay