कोर्ट के आदेशों के बावजूद यहां जीवनदायिनी को बना दिया कूड़ादान

punjabkesari.in Saturday, Mar 23, 2019 - 09:46 AM (IST)

कुल्लू : आज पूरे विश्व में जल का संकट व्याप्त है। दुनिया औद्योगिकीकरण की राह पर चल रही है, लेकिन इससे स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन होता जा रहा है। दूषित जल का प्रयोग करने से जलजनित रोग तेजी से फैल रहे हैं। विश्व के हर नागरिक को जल की महता से अवगत करवाने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरूआत की थी, लेकिन इसके बावजूद भी कई लोग जल को दूषित करने पर तुले हुए हैं।

कुल्लू जिला की बात करें तो पवित्र ब्यास नदी जिसका वैदिक नाम अरिजिकीया तथा सांस्कृतिक नाम विपाशा है का उद्गम हिमालय श्रेणी के पीर पंजाल पर्वत में रोहतांग दर्रा नामक स्थान से 13050 फुट की ऊंचाई से होता है, वहीं ब्यास एवं इसकी सहायक नदियों में असंख्य पेयजल परियोजनाएं हैं जो लाखों लोगों की प्यास बुझाने का कार्य करती हैं। गौरतलब है कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात कुल्लू-मनाली पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा ब्यास व इसकी सहायक नदियों में धड़ल्ले में कूड़ा-कचरा फैंका जा रहा है, जिससे देश-विदेश से आए पर्यटकों का गंदगी से स्वागत होता है।

पर्यटन सीजन में ब्यास नदी में करीब हर रोज 60 टन कचरा बहाया जाता है। यही नहीं मनाली व मणिकर्ण के होटलों की सीवरेज की गंदगी भी पवित्र ब्यास नदी को प्रदूषित करती है। घुलनशील अशुद्धियों से जल का स्वरूप ही बदल जाता है मंडी शहर तक पहुंचते हुए ब्यास का टोटल कोलीफोरम 2400 तक रिकार्ड किया गया है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है।
 


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kirti

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