हाईकोर्ट ने खारिज की अपील, बच्चे के ह.त्यारे को सुनाई उम्रकैद की सजा रखी बरकरार

Friday, Dec 01, 2023 - 09:13 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने 7 वर्षीय बच्चे के हत्यारे को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जिला सीतामढ़ी बिहार निवासी की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हत्या के जुर्म के लिए ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर सही निर्णय सुनाया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हमीरपुर के निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी गई थी। ट्रायल कोर्ट ने नागेंद्र राम उर्फ मुकेश को 7 वर्षीय बच्चे की हत्या करने के जुर्म के लिए दोषी ठहराया था। इस जुर्म के लिए ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद और 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। हाइकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि नागेंद्र राम वारदात के दिन 7 वर्षीय बच्चे के साथ देखा गया था। यह बच्चा उसकी पत्नी की बहन का बेटा था जोकि राजकीय प्राथमिक पाठशाला सेरी नादौन में दूसरी कक्षा का छात्र था।

18 अक्तूबर, 2016 को बच्चा स्कूल गया था परंतु वापस नहीं लौटा। उसके पिता ने अपने स्तर पर बच्चे की तलाश की परंतु उसका पता नहीं चला। स्कूल के बाहर दुकान चलाने वाली महिला ने उसे बताया कि उसने स्कूल में छुट्टी के बाद बच्चे को दोषी नागेंद्र के साथ लेबर चौक की तरफ जाते देखा था। बच्चे का पिता और दोषी नागेंद्र रिश्ते में सांडू लगते हैं। इसलिए उसने दोषी से पूछा कि बच्चा कहां है तो दोषी ने बच्चे से मिलने की बात से इंकार कर दिया। बच्चे के पिता ने उसी दिन शाम को बच्चे की गुमशुदगी की लिखित शिकायत दर्ज करवाई। 19 अक्तूबर को भी बच्चे की तलाश जारी रखी गई। 

जांच पड़ताल करने के बाद मामले में बनाए 2 गवाहों ने बताया कि उन्होंने एक स्कूल बैग लावारिस हालत में पानी के टैंक पर देखा था। बच्चे के पिता ने बैग को अपने गुमशुदा बेटे का बताया। उसने अपने बच्चे की चप्पल पानी पर तैरती हुई देखी। पुलिस को सूचित करने पर टैंक को खाली करवाया गया, जिसमें बच्चे की लाश बरामद हुई। 23 अक्तूबर को मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस जांच में दोषी नागेंद्र की संलिप्तता पाई गई। दोषी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 31 गवाहों द्वारा दिए बयानों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने नागेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा।
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Content Writer

Vijay