कुलदीप राठौर की ताजपोशी के साथ कांग्रेस में फेरबदल की संभावना बढ़ी

Friday, Jan 11, 2019 - 04:48 PM (IST)

शिमला (राक्टा): हिमाचल कांग्रेस को नया मुखिया मिलने के साथ ही पार्टी में फेरबदल की संभावना भी बढ़ गई है। जिस तरह से कांग्रेस में अब तक की रिवायत रहीं है, उससे माना जा रहा है कि जल्द ही यह प्रकिया शुरू हो जाएगी। इसको लेकर दिल्ली में भी मंथन चला हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहले ही संगठन में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा की गई नियुक्तियों पर सवाल उठा चुके है। ऐसे में यह संभावना ज्यादा प्रबल हुई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर अभी दिल्ली में ही डटे हुए है। सूचना के अनुसार शुक्रवार को भी उनकी प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल के साथ बैठक हुई। इस बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति के साथ ही अन्य संगठनातमक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। राठौर 17 जनवरी को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन शिमला पहुंचकर अपना कार्यभार संभालेगें। हालांकि राठौर संगठन में फेरबदल से इनकार कर रहे है लेकिन पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुक्खू की कुछ नियुक्तियां वरिष्ट नेताओं को रास नहीं आई है, ऐसे में उन पर कड़े फैसले लेने का दवाब भी बन सकता है।

फायदे

- राठौर को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का साथ मिलेगा। सुक्खू के नेतृत्व में वीरभद्र सिंह व अन्य कुछ कांग्रेसी साथ चलने का तैयार नहीं थे।
- कुलदीप राठौर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, विपल्व ठाकुर के साथ काम कर चुके है। ऐसे में उन्हे संगठन से जुड़े निर्णय लेने में दिक्क त नहीं आएगी।
- पेश से अधिवक्ता, मुद्दे भुनाने में सक्षम
- हाईकमान ने राठौर पर दाव खेल जातिय और क्षेत्रीय संतुलन बनाया है।

चुनौती

- गुटों में बंटी कांग्रेस को चुनावों से पहले एकजुट करने की बड़ी चुनौती होगी।
- पार्टी में जनाधार वाले नेताओं के साथ किस-किस तरह तालमेल बिठाना है, यह भी आसान नहीं होगा।
- संगठन में फेरबदल करते हुए सभी को विश्वास में लेना होगा।
- संगठन में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुक्खू सर्मथक पदाधिकारियों की छटनी से गुटबाजी हावी हो सकती है।
- संगठनातम्क चुनाव के बिना हुई ताजपोशी पर उठ सकते है सवाल। 

सुक्खू के नेतृत्व में हारे ये-ये चुनाव

पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस का कई चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उनके अध्यक्ष बनने के बाद 2014 में हुए लोकसभाचुनाव में कांग्रेस चारों सीटें हार गई। इसके बाद हमीरपुर विधानसभा हलके के लिए उपचुनाव हुआ, पार्टी वह भी हार गई। भोरंज उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। नगर निगम शिमला के चुनावों में भी पार्टी को हार मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव में तो भी कांग्रेस का हार का सामना करना पड़ा।

Ekta