कोटरोपी का दर्द जानने पहुंचे DC, लोगों को दिलाया भरोसा (Video)

punjabkesari.in Thursday, Jun 14, 2018 - 01:46 PM (IST)

मंडी (नीरज): करीब एक साल पहले कोटरोपी में हुई भीषण त्रासदी के बाद मंडी जिला प्रशासन हरकत में आया है। कोटरोपी में मौजूदा स्थिति क्या है यह जांचने के लिए डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर खुद ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और पूरे हालातों का जायजा लिया। उनके साथ एडीएम मंडी राजीव कुमार, एसडीएम पधर आशीष शर्मा और आईआईटी के विशेषज्ञों सहित तमाम अधिकारी मौजूद रहे। डीसी ने कोटरोपी के चप्पे-चप्पे में जाकर स्थिति का जायजा लिया। स्थानीय लोगों से मुलाकात और प्रभावित गांव तथा घरों में जाकर लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। 
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उन्होंने बताया कि कोटरोपी के पास आईआईटी मंडी के सहयोग से दो सेंसर लगाए जाएंगे और इन्हें जल्द ही स्थापित कर दिया जाएगा। यह सेंसर भूस्खलन की चेतावनी जारी करेंगे। मिट्टी के खिसकने का क्रम शुरू होते ही एक मैसेज मोबाइल पर चला जाएगा और यदि खतरा ज्यादा बड़ा हुआ तो जोर का हूटर बजेगा। इसके अलावा अन्य जो संवेदनशील स्पॉट हैं वहां पर भी ऐसे ही सेंसर लगाए जाएंगे। इस सेंसर को आईआईटी मंडी के स्टूडेंटस ने बनाया है और इसका प्रयोग काफी सफल रहा है। साथ ही प्रशासन घटनास्थल के दोनों तरफ रेड लाईट भी लगाएगा ताकि लोग यहां से सावधानी से गुजरें। 
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उन्होंने माना कि इससे पहले जो निर्णय लिए जा रहे थे वो कार्यालयों में बैठकर ही लिए जा रहे थे। क्योंकि यह हादसा उनके कार्यकाल में नहीं हुआ इसलिए उन्होंने खुद वास्तुस्थिति जानने के लिए मौके पर आना उचित समझा। डीसी ने पाया कि यहां पानी की निकासी के लिए उचित प्रबंध नहीं है। इसलिए विभाग को निर्देश दिए कि यहां और पाईप डाले जाएं ताकि पानी सही ढंग से बाहर निकल सके। वहीं मंडी ने प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जाना।
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उन्होंने बताया कि इलाके में वन विभाग की जमीन के सिवाय और कोई जमीन उपलब्ध नहीं है। इसलिए सरकार को स्पेशल केस बनाकर भेजा गया है और उसकी मंजूरी मिलते ही प्रभावितों को जमीन आबंटित कर दी जाएगी। कोटरोपी में भूस्खलन के कारण जो अस्थाई जलाशय बन गए थे उन्हें भी मिट्टी डालकर भर दिया गया है, ताकि बरसात का पानी इसमें न रूके। इसके साथ ही बरसात के समय में यहां बंद पड़ी स्ट्रीट लाईटों को भी फिर से ऑन करने के निर्देश दे दिए गए हैं। डीसी मंडी ने घटनास्थल के पास वाले गांवों को एहतिआत बरतने को कहा है और यह भरोसा दिलाया है कि वे किसी भी समय प्रशासन की मदद ले सकते हैं।
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