जानिए क्यों सरकार से नाराज हैं हिमाचली कलाकार, अलग से नीति बनाने की उठाई मांग

Saturday, Feb 29, 2020 - 07:18 PM (IST)

शिमला (योगराज): हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी संस्कृति संकट के दौर में है। हिमाचली कलाकारों की हिमाचल में ही बेकद्री हो रही है। यह बात हिमाचली कलाकारों ने शिमला में प्रैस वार्ता करते हुए कही। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय मेलों और कार्यक्रमों में पिक एंड चूज की नीति अपनाकर सरकारी अफसर हिमाचली कलाकारों की अनदेखी कर रहे हैं जबकि बाहरी राज्यों के कलाकारों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे हिमाचली कलाकारों का मनोबल गिर रहा है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल में हर वर्ष में कई मेले आयोजित किए जाते हैं, जिसमें मंडी का शिवरात्रि मेला, सुजानपुर में होली मेला, रामपुर में लवी मेला, चम्बा में मिंजर मेला, कुल्लू में दशहरा, शिमला में समर फैस्टीवल, सोलन में शूलिनी मेला, सिरमौर में रेणुका मेला, हमीर उत्सव, सोमभद्रा महोत्सव आदि मनाए जाते हैं। इन मेलों में हिमाचल के कलाकारों की अनदेखी करके बाहर के कलाकारों को आमंत्रित कर उन पर पैसे लुटाए जाते हैं।

हिमाचली कलाकारों ने आरोप लगाया कि मेलों में न तो हिमाचली कलाकरों को उचित मेहनताना दिया जा रहा है और न ही स्टेज पर 2 मिनट से ज्यादा का समय दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बाहरी कलाकारों को लाखों रुपए दिए जा रहे हैं जबकि हिमाचल के 100 कलाकारों पर नाममात्र राशि खर्च की जा रही है। जब अधिकारियों से बात की जाती है तो जवाब मिलता है कि नेताओं की सिफारिश लाओ तभी मौका मिलेगा।

हिमाचली कलाकारों ने सरकार से उनके लिए अलग से नीति बनाने की मांग है। उक्त कलाकारों ने कहा कि केवल दिखाने के लिए नाटी डालने से हिमाचल की संस्कृति नहीं बचती है। मुख्यमंत्री को पहाड़ी कलाकारों के लिए मंच प्रदान करना होगा। यदि प्रशासन का रवैया इसी तरह से बना रहता है तो आने वाले समय मे हिमाचली कलाकार इसके खिलाफ आन्दोलन छेड़ेंगे और साथ ही सरकार के खिलाफ गाने भी बनाए जाएंगे।

Vijay