किन्नर कैलाश यात्रा पर संशय, प्रशासन रैकी के बाद लेगा निर्णय

Tuesday, Jun 11, 2019 - 11:27 AM (IST)

रिकांगपिओ (ब्यूरो): पंच कैलाश यात्राओं में से एक किन्नर कैलाश यात्रा-2019 को लेकर इस बार प्रशासन में संशय बना हुआ है। पूर्व में सामने आईं घटनाओं के चलते इस बार यात्रा को लेकर यह स्थिति बनी हुई है। हालांकि यात्रा के लिए प्रशासन ने 1 से 11 अगस्त की तिथि निश्चित की है लेकिन इस तिथि में बदलाव भी हो सकता है। इसके साथ ही यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। सूचना के अनुसार प्रशासन ने किन्नर कैलाश यात्रा की अनुमति देने से पहले पूरी रैकी करने का निर्णय लिया है ताकि पूर्व में सामने आए मामलों की पुनरावृत्ति न हो। ऐेसे में अब रैकी के दौरान जिस तरह की स्थिति सामने आएगी, उसके आधार पर यात्रा को शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा। 

श्रद्धालुओं में भी इस बार यात्रा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। अभी तक प्रशासन ने सामाजिक संस्थाओं को यात्रा के दौरान लंगर लगाने की अनुमति भी नहीं दी है। सूचना के अनुसार किन्नर कैलाश यात्रा 2019 के तहत सारथी सेवा समिति गाजियाबाद सहित कई संस्थाओं ने लंगर लगाने के लिए अनुमति मांगी है, जो अभी लंबित है। इसके साथ ही प्रशासन की तरफ से पहले संबंधित संस्थाओं की तरफ से श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि किन-किन संस्थाओं को लंगर लगाने की अनुमति प्रदान की जाए। किन्नर कैलाश यात्रा को आधिकारिक तौर पर शुरू करने के लिए जिला प्रशासन सभी पहलुओं को खंगाल रहा है।

वर्ष 2018 में हुई 3 लोगों की मौत

किन्नर कैलाश यात्रा-2018 के दौरान 3 श्रद्धालुओं को अचानक आई बाढ़ ने अपने आगोश में ले लिया था। इससे पहले भी यात्रा के दौरान विभिन्न कारणों से श्रद्धालुओं की मौत होने की सूचना है। वर्ष 2012 से जिला प्रशासन ने किन्नर कैलाश यात्रा को अपने स्तर पर संचालित करने का निर्णय लिया था और तभी से इस यात्रा के लिए प्रशासन ने 1 से 11 अगस्त की तिथि निर्धारित की है। यात्रा के दौरान बढ़ती घटनाओं के कारण प्रशासन इस बार इसकी तिथि में भी फेरबदल कर सकता है या फिर यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।

तंगिंग गांव से यात्रा का सफर

भगवान शिव की तपोस्थली किन्नौर का किन्नर कैलाश समुद्र तल से करीब 24,000 फुट की ऊंचाई पर है। यहां पर भोले बाबा की शिवलिंग की ऊंचाई 40 फुट और चौड़ाई 16 फुट है। किन्नर कैलाश के लिए किन्नौर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर पोवारी से सतलुज नदी पार कर तंगलिंग गांव से होकर जाना पड़ता है। यात्रा के दौरान भक्त पार्वती कुंड में स्नान करने के बाद 24 घंटे की कठिन राह पार कर किन्नर कैलाश पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं को पहाड़ियों एवं जंगल से गुजर कर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है।

सोशल मीडिया पर की जा रही तथ्यहीन पोस्ट

किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई तरह की पोस्ट की जा रही हैं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को गुमराह करने वाली संबंधित पोस्टों का कड़ा संज्ञान लिया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किन्नर कैलाश यात्रा को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

यात्रा रोकना उचित नहीं: सारथी सेवा समिति

सारथी सेवा समिति कैंप संचालक रंजीत सिंह के अनुसार धार्मिक आस्थाओं के चलते यात्रा को रोकना उचित नहीं होगा बल्कि इसमें प्रशासन को चाहिए कि इस यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था को और पुख्ता किया जाए। हालांकि यात्रा के लिए 1 से 11 अगस्त का समय उचित है और मौसम भी ठीक ही रहता है। ऐसे में प्रशासन यात्रा को लेकर समय रहते उचित निर्णय ले ताकि लंगर संस्थाओं को लंगर की तैयारी के लिए उचित समय मिल सके।

Ekta