यहां 7 दशक के बाद मिली कालू नाग देवता की तीन पालकियां, हजारों लोग बने गवाह (Video)

Sunday, Jun 23, 2019 - 12:56 PM (IST)

ठियोग (सुरेश): हिमाचल प्रदेश में देव कार्यों से जुड़े त्यौहार और उत्सव बड़े हर्ष ओर पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ मनाए जाते हैं। इन उत्सवों की खास बात ये रहती है कि लोग इनके दौरान साफ-सफाई और आत्मशुद्धि के लिए कई दिनों तक सभी प्रकार के व्यसनों से दूर रहते हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम के तहत ठियोग की धार कन्दरू पंचायत में पिछले 9 दिनों से चल रहे देवी भागवत का समापन हो गया। इस देवी भागवत में आचार्य श्री उमादत्त शर्मा ने अपनी वाणी से लोगों को मां भगवती की महिमा का गुणगान किया। 9 दिनों तक चले इस क्रम में रोजाना देवी के मूल पाठ ओर हवन का आयोजन किया गया। 

इस दौरान रोजाना हजारों लोगों ने देवता से आशीर्वाद लिया और भागवत का भोज भी ग्रहण किया। लगभग सात दशकों बाद श्री कालू नाग देवता के मंदिर धार में आयोजित इस देवी भागवत में समापन के एक दिन पहले तीन भाइयों का दिव्य मिलन हुआ। एक से तीन भाइयों में बंटी कालू नाग देवता जी की तीन पालकियो का सुंदर दृश्य देखते ही बनता था। जिसमें सबसे बड़े देवता की मूर्ति धार कन्दरू और उससे छोटे भाई की मूर्ति जदून ओर सबसे छोटे भाई की मूर्ति भराना से आई। विशेष तरीके से सुशोभित इन तीनों भाइयों की पालकियों को उनके कारदार ढोल नगाड़ों ओर वैदिक मंत्रों की पूजा के साथ लाए। अपने से छोटे दोनों भाइयों की पालकियों को देखकर कालू नाग देवता धार की पालकी उनके स्वागत के लिए आगे आई।

इस दौरान तीनो भाइयों के इतिहासिक मिलन को देखने के लिए कई हजारों लोग इस पल के गवाह बने इस अनूठे देव मिलन के क्षण को पर हर कोई अपनी अपनी टकटकी लगाए निहार रहा था। वैदिक मंत्रों ओर पौराणिक विधि के साथ तीनो देवताओं की पालकी शोभायमान होकर मन्दिर पहुंची। इस दौरान विशेष तौर पर धर्मपुर रियासत के चंवर प्रमुख योगेंद्र चन्द्र देवताओं की पालकी के साथ मौजूद रहे। मन्दिर पहुंचने पर तीनों देव गुरों ने देव वाणी के माध्यम से लोगों को पुराने रीति-रिवाजों पर कायम रहने की सिख दी और समाज और इलाकों की सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद दिया।

आपको बता दें कि कालू नाग देवता ने गुरु गोरखनाथ की आज्ञा के बाद अपने तप से देवत्व की प्रप्ति की ओर अलग-अलग स्थानों पर अपनी शक्ति से विजय हासिल कर वहां पर अपना साम्रज्य स्थापित किया। कालू नाग देवता के सबसे छोटे भाई के स्थान भराना में 1961 के बाद बलि प्रथा बंद कर यहां लोगों ने 18 पुराण करा कर नैमिषारण्य का दर्जा हासिल किया लेकिन दी देवठियों जदून और धार में अभी तक पूरे तरीके से बलि प्रथा बंद नहीं हो पाई है। लेकिन अब देवी भागवत की कथा के बाद लोगों में आस जगी है कि इस कुप्रथा को बंद किया जाए जिससे लोगों की आस्था और बड़े ओर धार और जदून में भी 18 पुराण कर उन्हें भी नॉमिशरण्य का दर्जा हासिल कर सके।

Ekta