बर्फबारी के बीच कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ा ऐतिहासिक स्टीम इंजन (Watch Video)

Wednesday, Feb 27, 2019 - 02:20 PM (IST)

शिमला (राजीव): कालका-शिमला ट्रैक पर बर्फबारी के बीच एक बार फिर 115 साल पुराना स्टीम इंजन दौड़ा। बुधवार को विदेशी सैलानियों ने वीआईपी कोच में शिमला से कैथलीघाट तक 22 किलोमीटर लंबा सफर तय किया। एक तरफ के लिए स्टीम इंजन को एक लाख ग्यारह हजार रुपए में बुक करवाया गया था।


22 ब्रिटिश सैलानियों ने इसे बुक करवाया था लेकिन सात लोग ही इसमें सफर करने पहुंचे। स्टीम इंजन के रवाना होने से पहले सैलानियों ने शिमला रेलवे स्टेशन की बर्फबारी के बीच इस स्टीम इंजन को कैमरों में कैद किया। इस महीने यह पांच बार स्टीम इजनं ट्रैक पर दौड़ा। रेलवे को एक महीने में करीब छह लाख की आमदनी इस स्टीम इंजन से हुई है। 

स्टीम इंजन में सफर करना तसंद करते हैं विदेशी सैलानी

विदेशी सैलानी स्टीम इंजन में सफर करना बहुत पसंद करते हैं। उधर विदेशी सैलानियों का कहना है कि स्टीम इंजन में सफर करने के लिए काफी उत्साहित है और ये काफी पुराना इंजन है। वहीं इतिहास की बात की जाए तो इस ट्रैक पर 1903 से 1970 तक स्टीम इंजन चलते थे। उसके बाद से डीजल इंजन शुरू होने से स्टीम इंजन को बंद कर दिया गया था।


उसके बाद 2001 में नार्दन रेलवे ने फिर से स्टीम इंजन को शुरू किया। तभी से लेकर आज तक जब भी बुकिंग आती है तब तब स्टीम इंजन को शुरू किया जाता है। इस स्टीम इंजन का वजन तकरीबन 41 टन है। 1903 में इस इंजन को इंगलैड से भारत लाया गया था। इस इंजन की करीब 80 टन को खींचने की क्षमता है। इस लिए इस इंजन के साथ दो कोच को जोड़ा जाता है। ये इंजन कोयले से चलाया जाता है। कोयले के जरिए पानी गर्म होता है और स्टीम निकलती है। इंजन से छुक छुक की आवाज़ और तीखी सीटी भी भाप के दवाव से ही बजती है।

Ekta