डेढ़ माह में दूसरी बार कर्ज लेने को बाध्य हुई जयराम सरकार, जानिए क्या है वजह

punjabkesari.in Friday, Feb 09, 2018 - 09:07 PM (IST)

शिमला: राज्य की जयराम सरकार को डेढ़ माह के भीतर ही दूसरी बार कर्ज लेने की नौबत आ गई है। इसी कड़ी में सरकार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है, ऐसे में भाजपा सरकार करीब डेढ़ माह के अंदर 1,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए बाध्य हुई है। साफ है कि भाजपा सरकार को भी कर्ज के सहारे आगे बढऩा होगा। वर्तमान सरकार की तरफ से लिया गया यह दूसरा कर्ज होगा, जिसे 10 साल के भीतर सरकार को ब्याज सहित वापस करना होगा। पहाड़ी राज्य हिमाचल पर अब तक साढ़े 47 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। 

700 करोड़ रुपए का पड़ा है अतिरिक्त बोझ
सरकार ने पूर्ण राज्यत्व दिवस के मौके पर 25 जनवरी को कर्मचारी व पैंशनरों को 8 फीसदी अंतरिम राहत देने की घोषणा की थी, जिससे प्रदेश सरकार पर करीब 700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा है, जिसके चलते सरकार के वित्तीय समीकरण बिगड़ गए हैं। सरकार कर्ज के बोझ को कम करने की बात लगातार कह रही है। इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने की आवश्यकता पर भी बल दिया है, साथ ही केंद्र सरकार से बेलआऊट पैकेज की मांग भी की जा रही है ताकि वित्तीय स्थिति में सुधार आ सके।

प्रति व्यक्ति 57,642 रुपए का ऋण
सरकार की तरफ से बार-बार कर्ज लेने के कारण राज्य की आर्थिकी ऋण जाल में फंसती जा रही है। इस कारण वर्ष, 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति ऋण जो 40,904 रुपए था, वह वर्ष, 2015-16 में बढ़कर 57,642 रुपए हो गया है। यानी 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। 

विकास के लिए 100 में से 40.86 रुपए
कर्ज लेने के बावजूद राज्य सरकार विकास कार्य के लिए 100 रुपए में से 40.86 रुपए ही व्यय कर पा रही है। कर्ज का बोझ राज्य पर इस कद्र बढ़ गया है कि इसको चुकाने के लिए 100 रुपए में से 10.43 रुपए ब्याज अदायगी और 100 रुपए में से 6.84 रुपए ऋण अदायगी पर व्यय करने पड़ रहे हैं।

वेतन-पैंशन पर बड़ा हिस्सा व्यय
बजट का बड़ा हिस्सा अधिकारी व कर्मचारियों के वेतन और पैंशन पर व्यय होता है। इसमें वेतन पर 100 रुपए में से 28.98 रुपए और पैंशन पर 100 रुपए में से 12.89 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।


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