महेंद्र सिंह बोले-अनियमितता नहीं होंगी बर्दाश्त, अधिकारियों को जमीन पर दिखाने होंगे परिणाम

Thursday, Sep 13, 2018 - 10:10 PM (IST)

शिमला (राक्टा): 1134 करोड़ रु पए की महत्वाकांक्षी बागवानी परियोजना को लेकर बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने अपने तेवर कड़े कर दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को दो टूक कहा कि वे फील्ड में जाकर कार्य का जायजा लें। उन्होंने सभी विषय विशेषज्ञ व बागवानी विकास अधिकारियों को फील्ड में जाकर परियोजना को जमीन पर उतारने के लिए किसानों व बागवानों से सीधा संपर्क स्थापित करने और उन्हें संबंधित क्षेत्रों में पैदा होने वाले पौधों की जानकारी व परामर्श देने के निर्देश भी दिए।

अपेक्षित परिणाम न आए तो अनुबंध पर होगा पुन: विचार
बागवानी मंत्री वीरवार को प्रदेश के लिए 1134 करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी बागवानी परियोजना में प्रगति को लेकर न्यूजीलैंड व नीदरलैंड की परामर्शी एजैंसी के साथ बैठक के दौरान बोले रहे थे। उन्होंने कहा कि परामर्शी एजैंसी के अधिकारी भी फील्ड में जाएं और बागवानों को आवश्यक प्रशिक्षण व परामर्श प्रदान करें। उन्होंने इस संबंध में रिपोर्ट 10 दिनों के भीतर सौंपने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परामर्शी एजैंसी अपेक्षित परिणाम लाने में असमर्थ रहती है तो इसके अनुबंध पर पुन: विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिणाम जमीन पर दिखने चाहिए। उन्होंने कहा कि परियोजना की पाई-पाई किसानों व बागवानों पर खर्च की जाएगी और इसमें किसी भी तरह की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

वर्ष 2023 तक 52 लाख सेब के रूट स्टॉक तैयार करने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि नर्सरियों में वर्ष 2023 तक 52 लाख सेब के रूट स्टॉक तैयार करने की क्षमता है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य के उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों के लिए 1688 करोड़  रु पए की बागवानी परियोजना स्वीकृत की गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव आर.डी. धीमान, परियोजना निदेशक दिनेश मल्होत्रा, बागवानी निदेशक एम.एल. धीमान, नीदरलैंड परामर्शी एजैंसी के प्रमुख फ्रेंक मैस व न्यूजीलैंड एजैंसी का दल तथा बागवानी विभाग के अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

विदेशों से पहुंचते ही सूख गए 50 प्रतिशत रूट स्टॉक
उन्होंने चिंता जाहिर की कि विदेशों से बड़े पैमाने पर रूट स्टॉक मंगवाए गए, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत पहुंचते ही सूख गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल की भौगोलिक स्थितियां व जलवायु उन देशों से भिन्न है, जहां से इस प्रकार के रूट स्टॉक मंगवाए जाते रहे हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रदेश की नर्सरियों में यहां की जलवायु के अनुकूल रूट स्टॉक तैयार करने की बेहतर संभावना मौजूद है और विभागीय अधिकारियों को इसके लिए लक्ष्य निर्धारित कर आने वाले समय में शत-प्रतिशत पौध यहीं पर तैयार करने के लिए अभी से प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि रूट स्टॉक के आयात को धीरे-धीरे कम करके राज्य की नर्सरियों की निर्भरता को बढ़ाएंगे।

रूट स्टॉक की किस्मों का लगाएं पता
उनहोंने कहा कि यह परियोजना मुख्य रूप से सेब व नाशपाती जैसे सम-शीतोष्ण पौधों के विस्तार व पुनरोद्धार के लिए है। इसलिए आवश्यक है कि पौधों का आयात करने से पूर्व राज्य में भौगोलिक स्थितियों, सिंचाई की सुविधा व मिट्टी की जांच जैसे पहलुओं का पूरी तरह अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने परामर्शी एजैंसी से राज्य के 7,000 से 9,000 फुट अथवा इससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की पैदावार के लिए रूट स्टॉक की किस्मों का पता लगाने के लिए कहा।

पौधों के वितरण से पहले कलस्टरों का करें चयन
बागवानी मंत्री ने पौधों के वितरण से पूर्व राज्य के विभिन्न भागों में कलस्टरों का उपयुक्त चयन करने के निर्देश दिए। उन्होंने वर्ष 2018-19 के लिए इस परियोजना के तहत लगभग 150 करोड़ रुपए की वार्षिक कार्ययोजना को भी स्वीकृति प्रदान की।

Vijay