IPH मंत्री बोले-ए.आई.बी.पी. के तहत हिमाचल को एक भी परियोजना नहीं

Tuesday, Jun 11, 2019 - 11:22 PM (IST)

शिमला: आई.पी.एच. मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए.आई.बी.पी.) के अंतर्गत केंद्र से पर्याप्त बजट देने की मांग उठाई। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा दिल्ली में बुलाए राष्ट्रीय सम्मेलन में महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि ए.आई.बी.पी. के अंतर्गत 2014-15 में 99 परियोजनाएं प्रस्तावित थीं। इनमें से एक भी परियोजना हिमाचल को नहीं मिल पाई है। उन्होंने लंबे समय से केंद्र के पास लटकी हिमाचल की 5 डी.पी.आर. को जल्द मंजूर करने तथा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश को मिलने वाली निधि में 25 प्रतिशत की कटौती पर नाराजगी जाहिर की।

राज्य के कई हितों की हुई अनदेखी

उन्होंने कहा कि हिमाचल ने देश हित की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है। फिर भी राज्य के कई हितों की अनदेखी हुई है। चाहे वह बी.बी.एम.बी. में हिस्सेदारी का हो या पौंग बांध विस्थापितों को मुआवजे का मामला हो। उन्होंने कहा कि राज्य राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ को जल उपलब्ध करवा रहा है। इसे देखते हुए केन्द्र को राज्य के हितों का ध्यान रखते हुए विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में उचित हिस्सा मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय जल आपूर्ति और सिंचाई प्राधिकरण के गठन का दिया सुझाव

इस दौरान महेंद्र सिंह ठाकुर ने परियोजनाओं की बेहतर निगरानी और कार्यन्वयन के लिए राष्ट्रीय जल आपूर्ति और सिंचाई प्राधिकरण के गठन का भी सुझाव दिया। उन्होंने वन संरक्षण अधिनियम-1980 एफ.सी.ए. के कारण होने वाली अनावश्यक देरी के बारे में भी अवगत करवाया और कहा कि हिमाचल में अधिकांश वन भूमि है और स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया परियोजनाओं को लागू करने में बाधक सिद्ध हो रही है।

मापदंडों में छूट देने का उठाया मामला

महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी राज्यों को मापदंडों को पूरा करने में छूट दी जानी चाहिए। पहाड़ी प्रदेशों को अन्य राज्यों की परिस्थितियों के समान नहीं आंकना चाहिए। मैदानी राज्यों में परियोजनाओं की निष्पादन लागत हिमाचल की तुलना में बहुत कम है।

Vijay